विक्की कौशल, कियारा आडवाणी और भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) स्टारर फिल्म गोविंदा नाम मेरा (Govinda Naam Mera) आज ओटीटी प्लेटफार्म डिज्नी+हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है. फिल्म के गाने के टीजर देखने का बाद ही फैंस फिल्म का लंबा समय से इंतजार कर रहे थे. बता दें इस फिल्म को मिले जुले रिव्यू मिले हैं. फिल्म की कहानी जबरदस्त लव एंगल पर आधारित है, वहीं फिल्म में लोगों को रणबीर कपूर का कैमियो रोल भी खूब पसंद आया है.गोविंदा (विक्की कौशल) की शादी गौरी (भूमि पेडनेकर) से हुई है, लेकिन उसका सुकु (कियारा आडवाणी) के साथ अफेयर चलता है. लव एंगल में नया ट्विस्ट तब आता है, जब गोविंदा के सौतेले भाई और सौतेली मां अपने पिता के नाम पर रजिस्टर्ड बंगले पर दावा करने के लिए सामने आते हैं. संपत्ति विवाद हत्या और यहां तक कि चोरी की ओर ले जाता है. लेकिन हत्या के पीछे कौन है? गोविंदा नाम मेरा में इन सभी सवालों के जवाब दिए गए हैं.
फिल्म में क्या है अच्छा
गोविंदा नाम मेरा में कुछ पार्ट ऐसे हैं जो आपको फिल्म के प्रति इच्छा पैदा करेंगे और आपको गोविंदा वाघमारे की असमंजस दुनिया में ले जाते हैं. फिल्म के अंतिम 20 मिनट, जहां सभी कहानियां एक साथ आती हैं और अंत में दर्शकों के मन में एक अलग छाप छोड़ देगी. फिल्म में सभी कलाकार अपने अपने रोल में खूब जचे हैं. विक्की कौशल से लेकर कियारा आडवाणी, भूमि पेडनेकर, अमेय वाघ, सयाजी शिंदे, दयानंद शेट्टी, विराज घेलानी और रेणुका शहाणे तक - और इन अभिनेताओं की मौजूदगी कहानी में आपकी उम्मीद को बरकरार रखती है. कियारा आडवाणी ने बड़े पैमाने पर काम किया है और निश्चित रूप से फिल्म में अपने एक्ट से बाकी लोगों से अलग दिखती हैं. भूमि पेडनेकर एक दबंग पत्नी के रूप में अच्छा करती हैं, लेकिन किरदार में पर्याप्त रंग नहीं हैं.
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अंत में कम हुई रोचकता
अमेय वाघ के कुछ हास्य परिहास और वन-लाइनर्स हैं जो आपके चेहरे पर मुस्कान लाते हैं. बिजली गाना जोशीला है और रणबीर कपूर का कैमियो भी दर्शकों को जबरदस्त प्रभावित करता है. गोविंदा नाम मेरा एक सपाट कथा पर आधारित है. हालांकि फिल्म का क्लाइमेक्स दिलचस्प है, लेकिन निर्देशक शशांक खेतान क्लाइमेक्स एपिसोड तक पहुंचने के लिए कोई दिलचस्प रास्ता नहीं बनाते हैं. एक्टर्स के रोल को और बेहतर किया जा सकता था, कई बार फिल्म में डांसर विक्की कौशल के किरदार से लोग बोर हो जाएंगे, क्योंकि कहानी एक समय बाद बिल्कुल प्लेन हो जाती है. हालांकि कहानी को दिलचस्प बनाने के लिए ह्युमर डाला गया है, लेकिन जरूरी नहीं कि हर जगह ह्युमर स्टोरी में काम आए. कहानी के अंत तक ये ह्युमर ज्यादा काम नहीं कर पाएंगे.
कास्ट अनुभवी अभिनेताओं से भरी हुई है, लेकिन इनका इस्तेमाल ठीक तरह से नहीं किया जाता है. फिल्म की कहानी इतनी सपाट है कि फर्स्ट हाफ में वास्तव में कुछ भी नहीं होता है और थ्रिलर सेकंड पार्ट में शुरू होता है. गोविंदा नाम मेरा एक ऐसी फिल्म है जहां सीन्स के बाद सीन्स देखकर आपके अंदर सस्पेंस पैदा हो जाएगा, लेकिन वो सस्पेंस कुछ देर बाद खत्म हो जाएगा, फिल्म को और रोचक बनाने के लिए इसे अंत तक होना चाहिए था.फिल्म की कहानी कमर्शियल कॉमेडी और डार्क कॉमेडी की दुनिया को एक साथ लाकर एक बैलेंस बनाने की कोशिश करती है, लेकिन वो दोनों में से किसी में पूरी तरह सफल नहीं हो पाती है.