बॉलीवुड के दमदार एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दकी की फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज 25 अगस्त को रिलीज हो गई। नवाजुद्दीन अपने लुक्स के लिए कम और एक्टिंग को लेकर ज्यादा मशहूर हैं, लेकिन इस बार बाबूमोशाय के बंदूक की गोली निशाने पर नहीं लगी है।
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी में यूपी और बिहार की छाप है। दो राजनीतिक धड़े जीजी और दुबे (दिव्या दत्ता/अनिल जॉर्ज) हैं, जो एक-दूसरे को खत्म करना चाहते हैं। वहीं बाबू (नवाजुद्दीन सिद्दकी) के लिए सब बराबर हैं, इसलिए बिना कुछ सोचे हत्याएं करता है। उसका मानना है कि वह यमराज का एजेंट है। बाबू को बंदूकबाज बांके बिहारी (जतिन गोस्वामी) टक्कर देता है।
फिल्म में मार-धाड़ और खून-खराबा दिखाया गया है। वहीं फुलवा (बेदिता बाग) की एंट्री कहानी और बाबू के दिल में ट्विस्ट पैदा करती है। फिल्म की कहानी में कुछ ठोस बात नहीं है। इसके पहले भी स्थानीय माफियाओं और हत्यारों को लेकर फिल्में बन चुकी हैं। ये भी कह सकते हैं कि 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' की घटिया नकल की गई है।
दमदार एक्टिंग जीत लेगी दिल
अगर बात करें एक्टिंग की तो सभी ने अपने अभिनय का जलवा बिखेरा है। बाबू की पत्नी के रोल में बिदिता बाग ने ग्लैमर का तड़का लगाया है। नेता दिव्या दत्ता ने शानदार एक्टिंग की है। बांके बिहारी के रोल में जतिन ने ठीक अभिनय किया है।
फिल्म का डायरेक्शन आपका मजा किरकिरा कर देगा। फिल्म की सेटिंग काफी हद तक रिएलिटी के करीब ले जाती है, लेकिन कुशाण नंदी इसे पर्दे पर उतारने में नाकामयाब रहे हैं। फिल्म में बीच-बीच में उनकी पकड़ ढीली पड़ती साफ दिखती है।
फिल्मों के गानें
फिल्मों के गानें कुछ खास छाप नहीं छोड़ते हैं। ऐसा कोई भी गाना नहीं है, जो आपको सिनेमा हॉल से निकलने के बाद याद रहे। सिर्फ 'बर्फानी' और 'घुंघटा' गानें हैं, जो आप थोड़ी देर के लिए गुनगुना सकते हैं।
अगर आप नवाजुद्दीन की दमदार, जानदार और शानदार एक्टिंग के फैन हैं तो मूवी देखने जा सकते हैं। इसके अलावा आपको फिल्म में कुछ खास नयापन नहीं मिलेगा। सभी किरदार नकारात्मक हैं।