भारत के महान खिलाड़ियों में शुमार सचिन तेंदुलकर की पहली डेब्यू फिल्म 'सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स' आज सिनेमाघरों की दहलीज पर दस्तक दे चुकी है। ऐसे में फिल्म देखने आए सचिन के फैंस बेहद खुश नजर आए।
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन के फैंस के लिए आज का दिन किसी त्यौहार से कम नहीं रहा है, क्योंकि क्रिकेट से सचिन को दूर हुए काफी समय हो गया है, ऐसे में उनके फैंस पर्दे पर मास्टर ब्लास्टर की एक झलक पाने को बेताब नजर आए।
बता दें कि 'सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स' 'भाग मिल्खा भाग' या 'एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' जैसी फीचर फिल्म नहीं है, यह एक डॉक्यूमेंट्री-ड्रामा है।
'सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स' में सचिन तेंदुलकर के जीवन के सभी उतार-चढ़ाव को डायरेक्टर जेम्स अर्सकाइन ने बखूबी दर्शाया है। फिल्म की कहानी एक ऐसे मध्यमवर्गीय परिवार के लड़के की है, जो अपनी कड़ी मेहनत और लगन से शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचता है।
फिल्म में सचिन के जीवन से जुड़े सभी पहलुओं पर बहुत ही बारीकी से प्रकाश डाला गया है। इसमें दिखाया गया है कि किस तरह एक शरारती बच्चा अपनी मेहनत से अपने सपनों को साकार करने का जज्बा रखता है। अपनी सफलता के लिए वह किसी भी शॉर्ट-कट का सहारा नहीं लेता है।
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इसके साथ ही उन्हें उनके परिवार का मिलने वाला साथ, पत्नी अंजलि से रोमांस और उन्हें सफलता के शिखर पर पहुंचाने वाले पर्दे के छिपे असली नायक। इसमें उनके भाई अजीत तेंदुलकर, गुरु रमाकांत आचरेकर से लेकर उन महान लोगों के बारें में बताया गया है, जिन्होंने मामूली से बच्चे को क्रिकेट का भगवान बना दिया।
बेटी सारा से हुई फिल्म की शुरुआत
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक वीडियो से, जिसमें सचिन की गोद में उनकी लाडली बेटी सारा है। यह वीडियो उस समय का है, जब सारा पैदा हुई थीं और सचिन ने उन्हें अपनी गोद में पहली बार उठाया था।
इस वीडियो में सचिन ने सारा को पकड़ते ही कहा था कि 'मुझे बहुत डर लग रहा है इसे पकड़ने में'। इसके बाद 'सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स' की कहानी सचिन के बचपन में की तरफ बढ़ती है।
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इसमें दिखाया गया है कि सचिन बचपन में काफी शरारती हुआ करते थे, वो कभी किसी की गाड़ी की हवा निकाल देते थे, तो कभी बेवजह किसी को भी परेशान करते रहते थे।
बता दें इसमें सचिन के बचपन का किरदार उनके बेटे अर्जुन के बचपन के दोस्त ने निभाया है। सचिन की जिंदगी नया मोड़ तब आता है, जब उनकी बड़ी बहन उन्हें तोहफे में बल्ला भेंट करती हैं, जिससे सचिन अपने बड़े भाई अजीत के साथ क्रिकेट खेलना शुरू कर देते हैं।
1983 के वर्ल्डकप ने सचिन की जिंदगी को एक नई दिशा दी। सचिन धीरे-धीरे क्रिकेट की एक के बाद एक सीढ़ी को चढ़ते गए। सचिन बल्ले-गेंद को ही अपनी दुनिया मानने लगे और वर्ल्डकप जीतने का सपना देखने लगे।
सचिन के गुरु रमाकांत आचरेकर के साथ क्रिकेट प्रैक्टिस से लेकर उनके पहले मैच तक पहुंचने का सफर। फिल्म में एक के बाद ज्यादातर असली वीडियोज दिखाए गए हैं। ऐसे में दर्शक खुद को सचिन के काफी करीब महसूस करेंगे।
फिल्म में मास्टर-ब्लास्टर की लाइफ के रोमांचक और इमोशनल पहलुओं को जबर्दस्त दिखाया गया है। इसमें उनके बचपन, उन पर उनके माता-पिता का विश्वास, पाकिस्तान के खिलाफ उनका पहला मैच वाकई में आपको काफी पसंद आएगा। लेकिन फिल्म में कुछ सस्पेंस और घटनाक्रम ऐसे भी हैं, जिन्हें देखने के लिए आपको थियेटर जाना ही होगा।
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जेम्स अर्सकाइन व शिवकुमार अनंत ने 'सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स' फिल्म को लिखा है। इस फिल्म को संगीत, म्यूजिक मास्टर ए आर रहमान ने दिया है। फिल्म में एक से दो जगह पर स्क्रीनप्ले में छोटी-छोटी खामियां लगीं, सचिन की जुबानी उनकी कहानी ने धाराप्रवाह बनाए रखा।
इसके साथ ही फिल्म सचिन के फैंस के अलावा आम दर्शकों बेहद पसंद आएगी।
Source : Sunita Mishra