आज राजकुमार भले ही हमारे बीच नहीं रहे हैं, लेकिन उन के दमदार डायलॉग और दमदार आवाज आज भी लोगों के कान में गूंजती हैं. आज यानी 8 अक्टूबर को राजकुमार की जन्मतिथि है. एक्टर ने अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जी है. लेकिन बहुत कम लोग जानते है कि एक्टर के अंतिम संस्कार की किसी को भी कानों कान भनक नहीं लगी थी. आइए आपको बताते है कि ऐसा क्यों हुआ था.
निधन में कोई शामिल नहीं हुआ
राजकुमार ने हिंदी सिनेमा की कई शानदार फिल्मों में काम किया है. लोग उनकी एक्टिंग के साथ अंदाज के भी फैंस थे. राजकुमार ने एक्टिंग के लिए पुलिस की नौकरी तक छोड़ दी थी और फिल्मों में काम करना शुरु कर दिया था. लेकिन बावजूद इसके जब एक्टर का निधन हुआ तो उनके अंतिम संस्कार में एक एक्टर तक शामिल नहीं हुआ. राजकुमार की ये इच्छा था कि जब उनका निधन हो तो कोई भी तमशा या दिखावा न हो.
पूरी हुई ईच्छा
राजकुमार ने अपनी मौत से काफी पहले ही कह दिया था कि उनकी अंतिम यात्रा में कोई भी शामिल नहीं होगा. ना ही मीडिया आएगी. एक्टर अपनी मौत के बाद किसी तरह का कोई तमाशा नहीं चाहते थे. इस बात का खुलासा एक्टर मेहुल कुमार ने किया था. मेहुल बताया था कि, 'जब हम ‘मरते दम तक’ में उनकी मौत का एक सीन शूट करने जा रहे थे, तो उन्हें गाड़ी में लिटाया गया था.'
कोई तमाशा ना बनाए
मेहुल ने कहा था कि, 'तभी मैंने एक फूल माला उन्हें अपने हाथों से पहनाई. तब उन्होंने मुझसे कहा कि जानी अभी पहना लो ये हार, जब जाएंगे तो आपको भनक तक नहीं लगेगी. बाद में मैंने उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि- 'हमारी अंतिम यात्रा को लोग तमाशा बना देते हैं. अच्छे अच्छे सफ़ेद कपड़े पहनकर आ जाते हैं, फिर मीडिया भी आती हैं. इसके बाद वो मरे हुए आदमी को सम्मान देने की जगह उसका तमाशा बनाते हैं. इसलिए मेरी अंतिम यात्रा में मेरे परिवार के अलावा कोई और शामिल नहीं होगा.'
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