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Ramayana Shabri Actress
Ramayana Shabri Actress: हिंदी सिनेमा में कई ऐसे कलाकार रहे हैं जिन्होंने पूरी ज़िंदगी मेहनत की, लेकिन उन्हें पहचान बहुत देर से मिली. वहीं कुछ तो जब तक दर्शकों के दिलों में जगह बना पाए, तब तक वो ये दुनिया ही छोड़ गए. ऐसी ही एक कलाकार थीं सरिता देवी, जिन्होंने रामानंद सागर की 'रामायण' में माता शबरी का किरदार निभाया था. इस एक किरदार ने उन्हें अमर बना दिया.
हालांकि, उनका करियर 45 साल से भी लंबा रहा और उन्होंने 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, पर पहचान उन्हें ‘शबरी’ बनकर ही मिली. आज भी जब शबरी माता की बात होती है, तो दर्शकों के जहन में सबसे पहले सरिता देवी का चेहरा उभर आता है. मगर बहुत कम लोग उनके संघर्ष और जीवन की कहानी से वाकिफ हैं. तो चलिए हम आपको उनके बारे में सब कुछ डिटेल में बताते हैं.
राजस्थान से मुंबई तक का सफर
1925 में राजस्थान में जन्मी सरिता देवी के लिए अभिनय की दुनिया में कदम रखना आसान नहीं था. उस समय पर्दा प्रथा थी और महिलाएं फिल्मों में काम करना तो दूर, घर से बाहर भी मुश्किल से निकल पाती थीं. समाज के विरोध के बावजूद सरिता को अपने पिता का पूरा समर्थन मिला. उनके हौसले से प्रेरित होकर उन्होंने 1940 के दशक में एक्टिंग करियर शुरू किया.
200 से ज्यादा फिल्मों में किया काम
सरिता देवी ने 1947 में फिल्म ‘तोहफा’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने ‘चौबेजी’, ‘देवदास’, ‘लव मैरिज’, ‘सोने की चिड़िया’, ‘गंगा की सौगंध’ जैसी फिल्मों में काम किया. लेकिन उनका योगदान हमेशा सपोर्टिंग किरदारों तक सीमित रहा. लेकिन भले ही उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों और कई टीवी शोज में अभिनय किया, लेकिन उन्हें वो पहचान नहीं मिल सकी जिसकी वो हकदार थीं.
‘रामायण’ की ‘माता शबरी’ बनकर मिली असली पहचान
सरिता देवी के जीवन में टर्निंग पॉइंट तब आया जब रामानंद सागर ने उन्हें ‘रामायण’ में माता शबरी का किरदार निभाने का मौका दिया. इस किरदार में उन्होंने इतनी सच्चाई और भावनाओं से अभिनय किया कि आज भी जब शबरी की बात होती है, लोग उन्हें ही याद करते हैं. जी हां, ये रोल उनके लंबे संघर्ष को आखिरकार वो मंच दे गया, जिसके वो सालों से हकदार थीं.
बीमारी और अकेलेपन से भरा था अंतिम सफर
वहीं अपने जीवन के आखिरी सालों में सरिता देवी पार्किन्सन की बीमारी से जूझती रहीं. यह बीमारी धीरे-धीरे गंभीर होती गई और आखिरकार 2001 में 78 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. बता दें कि सरिता देवी की निजी ज़िंदगी भी संघर्षों से भरी रही. उनकी पहली शादी सिर्फ 12 साल की उम्र में हुई थी, लेकिन उनके पति की कुछ ही महीनों में मृत्यु हो गई. इसके बाद उन्होंने लालजी गोहिल से दूसरी शादी की, जो एक ड्रामा कंपनी चलाते थे.
शादी के बाद सरिता देवी दो बेटों और एक बेटी की मां बनीं. मगर 1990 में उनके पति का निधन हो गया, और कुछ साल बाद बड़े बेटे की भी मृत्यु हो गई. इन दुखों के बावजूद सरिता देवी ने अपने फ़िल्मी सफर को जारी रखा और एक उदाहरण बन गईं.
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