/newsnation/media/media_files/2025/06/18/This film is unlucky there was pile of dead bodies during its shooting record registered in the Gui-7c81a37c.jpg)
Horrible Shooting Incident
Horrible Shooting Incident: कई बार फिल्मों की शूटिंग के दौरान ऐसे हादसे हो जाते हैं, जो वाकई हैरान कर देने वाले होते हैं. लेकिन एक फिल्म की शूटिंग के दौरान ऐसा भयानक हादसा हुआ था, जिसके बारे में अगर लोग आज भी सुनते हैं, तो उनकी रूह कांप जाती है. चलिए हम आपको इस हादसे के बारे में डिटेल में बताते हैं.
सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक
दरअसल, भारतीय टेलीविजन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है, 'द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान' की शूटिंग के दौरान का हादसा. जहां 8 फरवरी 1989 को एक भीषण हादसा हुआ था, जिसे आज भी टीवी इंडस्ट्री का सबसे भयानक हादसा माना जाता है. बता दें कि ये ऐतिहासिक ड्रामा शो मशहूर लेखक भगवान एस. गिदवानी के नावेल पर बेस्ड था, जिसमें मैसूर साम्राज्य के शासक टीपू सुल्तान के जीवन को विस्तार से दिखाया गया था. ये शो अपने भव्य निर्माण, ऐतिहासिक सटीकता और दमदार कहानी के लिए पहले ही चर्चा में था. इस नावेल की 2 लाख से ज्यादा कोपिस विश्वभर में बिक चुकी थीं.
संजय खान थे निर्देशक और मैन एक्टर
बता दें, इस ऐतिहासिक धारावाहिक का निर्देशन एक्टर संजय खान ने किया था. वो खुद इस शो में टीपू सुल्तान की भूमिका निभा रहे थे. उनके साथ शो में शाहबाज खान और मुकेश ऋषि जैसे कलाकार भी शामिल थे. दर्शकों को इस शो का बेसब्री से इंतजार था.
आग से 62 लोगों की हुई थी मौत
शो की शूटिंग मैसूर के प्रीमियर स्टूडियो में चल रही थी जब अचानक भीषण आग लग गई. आग इतनी विकराल थी कि इसमें 62 क्रू मेंबर्स की दर्दनाक मौत हो गई. ये भारतीय फिल्म और टीवी इतिहास में शूटिंग के दौरान हुई सबसे बड़ी जानलेवा घटनाओं में से एक बन गई. इस हादसे की जांच में सामने आया कि स्टूडियो में वेंटिलेशन की कमी और सेफ्टी मापदंडों की अनदेखी इसके मैन कारण थे. वहीं स्टूडियो में आग लगने की स्थिति में बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं थे.
संजय खान को करवानी पड़ी थी 72 सर्जरी
साथ ही इस भीषण हादसे में संजय खान गंभीर रूप से झुलस गए थे. उन्हें बचाने के लिए तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें लगातार 13 महीनों तक इलाज में रहना पड़ा और उनकी 72 सर्जरी करवाई गईं. एक पुराने इंटरव्यू में संजय खान ने खुलासा किया था कि डॉक्टरों ने उन्हें मात्र 10% बचने की संभावना बताई थी. लेकिन उस वक्त के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दिल्ली से विशेष मेडिकल टीम भेजी, जिससे उनकी जान बच सकी.