दूरदर्शन पर लॉकडाउन के चलते दोबारा शुरू हुए सीरियल 'रामायण' (Ramayan) को बनाने वाले रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) ने इसे बनाते वक्त ऐसी कल्पना भी नहीं की होगी कि लोग उन्हें पूजने लगेंगे. आज हम आपको 'रामायण' (Ramayan) को बनाने वाले रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) की अनसुनी कहानी बताएंगे. 29 दिसंबर 1917 को जन्मे रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) का मूल नाम चंद्रमौली चोपड़ा (Chandramouli Chopra) था.
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रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) के दादा पेशावर से आकर परिवार समेत कश्मीर में बस गए. इसके बाद जब रामानंद बहुत ही छोटे थे तब इनकी मां का निधन हो गया. जिसके बाद इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली जिससे एक और बच्चे का जन्म हुआ जिनका नाम विधू विनोद चोपड़ा है. विधू विनोद चोपड़ा भी अपने भाई रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) की तरह एक मशहूर फिल्मकार हैं.
रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) की पढ़ाई लाहौर में हुई और वो संस्कृत तथा फारसी भाषा में गोल्ड मेडलिस्ट थे. पढ़ाई लिखाई खत्म होने के बाद उन्होंने लेखन में हाथ आजमाना शुरु किया और लाहौर से ही प्रकाशित होने वाले डेली मिलाप के संपादकीय विभाग में काम भी किया.
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बंटवारे के बाद रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) का परिवार मुंबई आ गया जहां जीवन जीने के लिए रामानन्द ने ट्रक क्लीनर से लेकर चपरासी तक की नौकरी की. लेकिन रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) की लेखन की कला उन्हें फिल्मों तक खींच लायी. लाहौर से फिल्मों में शुरु हुई अधूरी यात्रा उन्होंने मुंबई में पूरी की. शुरुआत कहानी लेखक और स्क्रीन राइटर के बतौर हुई. राज कपूर की बरसात फिल्म ने उन्हें एक लेखक के तौर पर फिल्म नगरी में स्थापित कर दिया.
'रामायण' (Ramayan) की अपार सफलता से पहले रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) ने एक से एक फिल्मों का निर्देशन किया. आरजू, चरस और राजकुमार तो सुपर डुपर हिट फिल्में रहीं. लेकिन इसके बावजूद उन्हें फिल्म समीक्षकों की वह तवज्जो नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी. लेकिन रामानन्द सागर (Ramanand Sagar) रामायण बनाकर रामानन्द ने न सिर्फ अपने नाम को चरितार्थ किया बल्कि भारत में अजर अमर हो गये.