न डोरेमॉन न छोटा भीम और न ही निंजा हथौड़ी. कभी हमारे हीरो रहे मोटू-पतलू आज भी दूनिया में सबसे बड़े कार्टून के हीरो के रूप में स्थापित हैं. बचपन में किताबों के बीच लोटपोट पढ़ने में जो मजा था वो आज टीवी स्क्रीन पर उतना ही लोकप्रिय है. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि 2018 में Google पर सबसे ज्यादा सर्च (top 10 search on google) किए गए टीवी प्रोग्राम में एकमात्र सीरियल मोटू पतलू है. ग्लोबल सर्च में यह चौथे नंबर पर है. भारत में मध्य प्रदेश के लोग सबसे ज्यादा दिवाने हैं. इसके बाद नंबर आता है राजस्थान, बिहार और उत्त्ार प्रदेश का.
मोटू-पतलू को रचने वाले प्राण का जन्म वर्ष 1938 में गैर-विभाजित भारत में लाहौर के पास कासूर में हुआ था. प्राण ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1960 में एक कार्टूनिस्ट के तौर पर दिल्ली के अखबार ‘मिलाप’ की कॉमिक पट्टी ‘दब्बू’ से की. वर्ष 1969 में प्राण ने हिंदी पत्रिका ‘लोटपोट’ के लिए चाचा चौधरी का स्केच बनाया, जिसने उन्हें लोकप्रिय बना दिया. कार्टून निर्माण में उनके करियर की शुरूआत हिंदी पत्रिका ‘लोटपोट’ में साहसी मोटू और पतलू के चरित्रों के साथ हुई. यह लॉरेल और हार्डी का देसी रूप था.
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वर्ष 1981 में डायमंड कॉमिक्स के गुलशन राय ने प्राण से संपर्क किया और इस तरह उनका एक ऐसा सफर साथ शुरू हुआ जो अगले 35 सालों तक जारी रहा. प्रसिद्ध कॉमिक्स के बैनर तले प्राण ने 500 से ज्यादा शीषर्क प्रकाशित किए. उनके 25000 से ज्यादा कॉमिक्स अंग्रेजी, हिन्दी और बंगाली समेत कुल 10 भाषाओं में छपे. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट्स के अनुसार, प्राण ने मुंबई के सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स में प्रशिक्षण लिया था और राजनैतिक विज्ञान में परास्नातक की डिग्री के अलावा उन्होंने फाइन आर्ट्स में चार वर्षीय डिग्री भी ली थी.
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छह साल पहले मोटू पतलू कॉमिक्स की कहानियां एनीमेटेड टीवी श्रृंखला के रूप में नजर आईं. कंप्यूटर एनीमेशन और डिजिटल विजुअल इफेक्ट्स कंपनी ‘माया डिजिटल स्टूडियोज प्राइवेट लिमिटेड’ ने ‘लोटपोट कॉमिक्स’ के साथ करार किया जिसने 40 साल पहले कॉमिक्स श्रृंखला शुरू की थी.
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‘माया डिजिटल स्टूडियोज’ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक केतन मेहता ने कहा, ‘‘माया में हम बेहतरीन भारतीय एनीमेशन तत्व को बढ़ावा देना चाहते हैं और इसलिए हमने चरित्रों के 3डी एनीमेशन के लिए लोटपोट कॉमिक्स से सपंर्क किया.’’ ‘द एडवेंचर्स ऑफ मोटू पतलू’ शीर्षक वाला यह धारावाहिक दो मित्रों के कुछ अनुभवों को प्रदर्शित करेगा जो हास्यास्पद स्थितियों में घिर जाते हैं .लोटपोट कॉमिक्स के संपादक एवं प्रकाशक पीके बजाज ने कहा था, ‘‘मोटू पतलू के लिए बेहतरीन डिजिटल पार्टनर ढूंढ़ना चुनौती भरा काम था. यही कारण है कि लोटपोट कॉमिक्स को डिजिटल बनाने में इतना वक्त लगा, लेकिन अब मैं अत्यंत प्रसन्न हूं कि माया डिजिटल स्टूडियोज ने चुनौतीपूर्ण काम को अपने हाथों में लिया है.’’
Source : DRIGRAJ MADHESHIA