Uma Dasgupta Death: दिग्गज फिल्म मेकर सत्यजीत रे को अपनी क्लासिक फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. उनकी एक आइकॉनिक फिल्म 1955 में आई पाथेर पांचाली भी रही है. इस फिल्म में एक्ट्रेस उमा दासुप्ता ने 'दुर्गा' का रोल निभाया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक उमा दासगुप्ता का सोमवार को निधन हो गया है. वह इस समय 83 साल की थी और कैंसर से जंग लड़ रही थीं. परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने कोलकाता के एक निजी अस्पताल में सुबह 8.15 बजे आखिरी सांस ली थी. आज शाम ही केओराटला श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
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आइकॉनिक दुर्गा किरदार से छा गई थीं उमा दासगुप्ता
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उमा दासगुप्ता के निधन की खबर सबसे पहले अभिनेता चिरंजीत चक्रवर्ती ने साझा की है. दासगुप्ता की बेटी ने यह जानकारी उनसे शेयर की थी. उमा के करियर के बात करें तो उन्होंने सत्यजीत रे की पहली फिल्म में 'दुर्गा' का रोल प्ले किया था. अपनी अदाकारी और खूबसूरती से वह सबकी फेवरेट बन गई थीं. इस किरदार से उमा ने दर्शकों और भारतीय सिनेमा के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी. 1955 में रिलीज़ हुई 'पाथेर पांचाली' बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित थी. इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा को ग्लोबल लेवल पर पहुंचाया था. यह फिल्म भारतीय सिनेमा में एक मील का पत्थर साबित हुई थी.
अपनी मासूमियत से जीता दर्शकों का दिल
पाथेर पांचाली एक ग्रामीण बंगाली परिवार की कहानी थी. इसमें दुर्गा और उसके छोटे भाई अपू के बीच एक इमोशनल बॉन्डिंग दिखाई थी. उमा के छोटे भाई का किरदार सुबीर बनर्जी ने निभाया था. अपू के किरदार को बाद में दिवंगत एक्टर सौमित्र चटर्जी ने अपू त्रयी की अगली किश्तों में अमर कर दिया था. दासगुप्ता के अभिनय ने उनके किरदार की मासूमियत ने भारीय ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमा को विश्व स्तर पर पहुंचा दिया था. यह फिल्म विदेशों में भी सराही गई थी.
एक फिल्म के बाद छोड़ दिया बलीवुड
उमा दासगुप्ता ने अपने दमदार डेब्यू के बावजूद मुख्यधारा के सिनेमा में अपना करियर नहीं बनाने का फैसला किया था. उन्होंने इस फिलम की ग्लोबल सफलता को भी इग्नोर करके बॉलीवुड छोड़ दिया था. वह एक फिल्म के बाद गायब हो गईं. उन्होंने अपने करियर में बहुत कम फिल्में की थीं.
कोलकाता में जन्मी और पली-बढ़ी उमा दासगुप्ता छोटी उम्र से ही थिएटर से जुड़ी हुई थीं. पाथेर पांचाली के अलावा, उन्होंने कौशिक गांगुली की अपुर पांचाली (2015) और लोक्खी छेले (2022) में भी काम किया था.