John Abraham On Religion: बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम अब काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं. एक्टर की फिल्म 'वेदा' (Vedaa) आज 15 अगस्त को रिलीज हो चुकी है. फिल्म प्रमोशन के दौरान जॉन अब्राहम अपने मन की बातें साझा कर रहे हैं. एक यूट्यूबर के साथ एक्टर ने धर्म को लेकर अपने विचार साझा किए. एक्टर ने कहा कि वह नास्तिक हैं. उन्हें उन लोगों से जलन होती है जो भगवान में आस्था रखते हैं. जॉन ने साझा किया कि उनके लिए, धर्म को आस्था के साथ जोड़ा जा सकता है और जब वह ऐसे लोगों को देखते हैं जिनकी आस्था प्रणाली मजबूत होती है तो उन्हें यह अविश्वसनीय लगता है, एक्टर ने कहा उन्हें धार्मिक लोग तर्कहीन और बेतुके लगते हैं.
मैं साइंटिफिक इंसान हूं जो धर्म को नहीं मानता
जॉन ने यूट्यूबर के साथ बातचीत में कहा, "मैं उन लोगों से जलता हूं जो आस्था रखते हैं क्योंकि आस्था पहाड़ों को हिला सकती है. आस्था, विश्वास, ये बड़ी चीजें हैं इसलिए मैं उन लोगों से ईर्ष्या करता हूं जो इस तरह की आस्था रखते हैं. मेरे लिए धर्म यही है. मैं धर्म को नहीं मानता. जॉन ने जोर देकर कहा कि वह एक "वैज्ञानिक व्यक्ति" हैं और उन्होंने कहा, "मैं विज्ञान को फॉलो करता हूं इसलिए मैं एक वैज्ञानिक व्यक्ति हूं."
एक्टर ने कहा कि वो चाहते हैं कि लोग धर्म की बजाय आस्था को माने. आप ईसाई, मुस्लिम, हिंदू, यहूदी, बौद्ध, जैन, सिख, जो भी हों, आस्था सबसे महत्वपूर्ण चीज है. मेरे लिए सबसे बड़ा भगवान, आस्था ही है."
धार्मिक लोगों से बहस करना मुश्किल
जॉन ने इस इंटरव्यू में यह भी कहा कि पढ़े-लिखे इंसान के लिए धार्मिक लोगों से बहस करना मुश्किल है. उन्होंने कहा, "अगर आप पढ़े-लिखे हैं तो यह बहस करना मुश्किल होगा कि ईश्वर है या नहीं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कोई ईश्वर नहीं है, लेकिन जो कोई ईश्वर में विश्वास करता है, वह अपने विश्वास के कारण होता है. यह आस्था ही है जो लोगों को भगवान को मानने के लिए प्रेरित करती है.
धर्म में बेतुके के रीति-रिवाज क्यों
जॉन ने यह भी कहा कि वह धर्म को लेकर नफरत करने वाले या आक्रामक नहीं दिखना चाहते हैं. पर उन्हें धर्म के नाम पर कुछ रीति-रिवाजों और परंपराओं को शामिल करना पसंद नहीं है. उन्होंने कहा, “मैं आक्रामक नहीं दिखना चाहता क्योंकि मैं लोगों का और उनके धर्मों का सम्मान करता हूं. जैसे कुछ रीति-रिवाज और परंपराएं जिन्हें देखकर आप सोचते हैं कि ‘क्यों? आखिर हो क्या रहा है?’ मुझे यह बेतुका लगता है.”
आखिर में जॉन अब्राहम ने लोगों से धर्म और आस्था को लेकर अपना दिमाग इस्तेमाल करने की अपील की.