बॉलीवुड अभिनेता दिव्येंदु शर्मा (Divyenndu) ने हाल ही में डिजिटल फिल्म 'शुक्राणु' (Shukranu) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसकी कहानी नसबंदी के बाद एक आदमी के संघर्ष से संबंधित है. यह फिल्म साल 1975 में इमरजेंसी के खिलाफ पृष्ठभूमि पर आधारित है. यह फिल्म इस बात को साफ करती है कि अगर हम लैंगिक समानता वाले समाज को देखना है, तो हमें जहरीले मर्दानगी भरे रवैये को बदलना होगा.
दिव्येंदु ने मीडिया से कहा, 'मर्दानगी की परिभाषा बदल रही है, और मैं इसे एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखता हूं. जिस तरह के विषयों को हम मुख्यधारा के सिनेमा में तलाश रहे हैं, उसे लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है. मेरा कहने का मतलब है कि मैं एक आदमी हूं और मुझे यह साबित करने की आवश्यकता नहीं है और सिर्फ इसलिए कि मैं एक आदमी हूं, मैं मर्दानगी के लिए पुराने दकियानुसी रवैया नहीं अपना सकता. मैं एक आदमी हूं, मैं इसे जानता हूं. मुझे यह साबित करने के लिए किसी के साथ भेदभाव करने की जरूरत नहीं है कि 'मैं हूं असली मर्द'. यह कभी फलदायी नहीं होता है.'
बिष्णु देव हाल्दार द्वारा निर्देशित इस फिल्म में श्वेता बसु प्रसाद, शीतल ठाकुर, आकाश दाभाड़े, संजय गुरबक्शानी और राजेश खट्टर भी हैं. कहानी की प्रमुख बिंदुओं को बताते हुए दिव्येंदु ने कहा, 'मुझे कहानी में जो सबसे अधिक दिलचस्प लगा, वह यह कि यह बहुत ही व्यक्तिगत और एक मानवीय कहानी है. जब भी हम आपातकाल के बारे में बात करते हैं, हम नसबंदी, और उस फैसले को लेकर हुई राजनीति के बारे में बात करते हैं. हमारी फिल्म में यह दिखाया गया है कि किस तरह से इस फैसले ने कई दंपतियों का जीवन बर्बाद कर दिया और कैसे एक राजनीतिक फैसले ने कई लोगों के निजी जीवन को प्रभावित किया.' 'शुक्राणु' ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर प्रसारित हो चुकी है.