हाल ही में प्रधानमंत्री ने लेह का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने उन जवानों से भी मुलाकात की जो गलवान की हिंसक झड़प में घायल हो गए थे. पीएम मोदी ने इन जवानों से अस्पातल में जाकर मुलाकात की थी. हालांकि इस मुलाकात को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. कई लोगों ने सवाल खड़े किए हैं कि जिस अस्पताल कहीं से लग नहीं रहा. अभिषेक दत्त नाम के एक ट्विटर यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा, न कोई ड्रिप, डॉक्टर के जगह फोटो ग्राफर, बेड के साथ कोई दवाई नहीं? पानी की बोतल नहीं? पर भगवान का शुक्रिया की हमारे सारे वीर सैनिक एक दम स्वस्त हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि असल में पीएम मोदी ने जवानों से जहां मुलाकात की, वो अस्पताल था ही नहीं.
क्या है इस दावे का सच
इस दावे की सच्चाई जानने के लिए जब हमने पड़ताल की तो भारतीय सेना की तरफ से इस पूरे मामले पर जनरल अस्पताल की सुविधाओं पर स्पष्टीकरण मिला. इस स्पष्टीकरण में लिखा है कि इस अस्पातल में भारतीय सेना के जवानों के इलाज पर संदेह करना दुर्भाग्यपूर्ण है. 3 जुलाई को पीएम मोदी ने लेह अस्पताल का दौरा किया था. ऐसे में कुछ पक्षों ने इस अस्पताल में दी जा रहीं सुविधाओं को लेकर बेबुनियाद आरोप लगाए. ये दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमारे जवानों के इलाज पर संदेह किया जा रहा है. सेना अपने जवानों को सबसे अच्छा इलाज देती है.
स्पष्टीकरण में आगे कहा गया, इस अस्पताल में 100 बेड हैं और ये जनरल हॉस्पिटल कॉम्पलेक्स का हिस्सा है. इसी के साथ ये भी बताया गया कि जनरल हॉस्पिटल के कुछ वार्ड्स को आइसोलेशन वार्ड्स में बदला गया है क्योंकि यहां कोरोना संक्रमित मरीजों का भी इलाज होता है. ये हॉल आमतौर पर ऑडियो-वीडियो ट्रेनिंग के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. घायल जवानों को गलवान से लाने के बाद से यहीं रखा गया है ताकी उनका संपर्क कोरोना मरीजों से न हो. आर्मी चीफ एमएम नरवणे और आर्मी कमांडर भी यहीं जवानों से मिलने आए थे. सेना की ओर से मिली इस जानकारी के बाद ये साफ हो जाता है कि सोशल मीडिया पर उठाए जा रहे सवाल गलत है.
Source : News Nation Bureau