सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के एक फैसले को लेकर काफी आलोचना हो रही है. वायरल दावे में कहा गया है कि पांच वर्ष से कम उम्र के 25 प्रतिशत बच्चों के पास आधार होने के कारण मोदी सरकार ने उन राज्यों को धन में कटौती की चेतावनी दी है जो सभी बच्चों के लिए आधार आईडी सुनिश्चित नहीं करते हैं. गौरतलब है कि इस योजना के तहत छह साल से कम उम्र के लाखों बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए मुफ्त, पौष्टिक भोजन मुहैया कराया जाता है. वायरल पोस्ट में ऐसा कहा गया है कि जिन बच्चों के पास आधार कार्ड होगा,उन्हें ही इस योजना का लाभ मिल सकेगा. पोस्ट में दावा किया गया है कि आधार कार्ड वाले बच्चे ही घर ले जाने वाले राशन, गर्म पका हुआ खाना और आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जाने अन्य सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे, यानि रजिस्टर्ड होंगे. इस पोस्ट के जरिए निर्देशों का हवाला दिया गया है. इसमें कहा गया है कि आंगनबाड़ी सेंटर पर जब भी लाभार्थी आएंगे, उन्हें आधार कार्ड अपने साथ लाना होगा.
A media report claims that the Aadhar card of children is mandatory for availing the benefits of the POSHAN scheme#PIBFactCheck
▶️This claim is #fake
▶️The Aadhar card of children is not mandatory
▶️The Aadhar ID of the mother is required for the Poshan Tracker@MinistryWCD pic.twitter.com/KMBVNccEnh
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) June 30, 2022
दावे की सच्चाई क्या है?
इस दावे को लेकर पीआईबी फैक्ट चेक ने सच उजागर किया है. पीआईबी की ओर से इस दावे को फर्जी करार दिया है. पीआईबी ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह दावा पूरी तरह से गलत है. बच्चों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है, बल्कि पोषण के लिए मां का आधार आईडी होना जरूरी है. मिनिस्ट्री ऑफ वुमेन चाइल्ड डिपार्टमेंट की ओर से बयान में कहा गया है कि सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशियन के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं किया गया है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय यह सुनिश्चित किया है कि लाभार्थी को पोषण वितरण सुनिश्चित करने के लिए माता-पिता का आधार पोषण ट्रैकर में दर्ज किया गया है. इसके लिए एसएमएस भी भेजा जाएगा.
आपको ये बता दें कि केंद्र सरकार की 'पीएम पोषण शक्ति निर्माण' योजना को बीते वर्ष आरंभ किया गया था. इस योजना को शिक्षा मंत्रालय द्वारा या फिर सरकार से प्राप्त सहायता वाले स्कूलों के जरिए संचालित किया जाता है. इस योजना के जरिए 11.20 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले एक से आठ तक के 11.80 करोड़ बच्चों के अलावा प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को गर्म पका हुआ खाना दिया जाता है. इस योजना को बिना किसी भेदभाव के सभी पात्र बच्चों को दिया जा रहा है.
Source : News Nation Bureau