सोशल मीडिया (social media)पर एक वीडियो लोगों को लगातार डरा रहा है... इस वीडियो में एक ही जगह अनगिनत मिसाइलें दिखाई दे रही हैं. वायरल मैसेज में वीडियो अफ़गानिस्तान ( afghanistan) के पंजशीर का बताया जा रहा है. साथ ही दावा किया जा रहा है कि ये मिसाइलें नॉर्दन अलायंस के कब्जे में थीं.. पंजशीर के इस इलाके में जब तालिबान का कब्जा हुआ तो नॉर्दन अलायंस के फाइटर इन मिसाइलों को छोड़कर भाग गए. दावा है कि वीडियो में दिख रही मिसाइलें अच्छी कंडीशन में हैं और इन मिसाइलों से तालिबानी लड़ाके तबाही मचा सकते हैं... वीडियो को शेयर करते हुए यूरी यामिन नाम के एक यूजर ने लिखा "वाह, तालिबानियों को मध्य पंजशीर में लूना-एम और एल्ब्रस मिसाइल सिस्टम की पुरानी मिसाइलें मिली हैं. कई साल तक मैं सोचता रहा कि अफ़गानिस्तान में उनके साथ क्या हुआ..
Wow, Talibs found in central Panjshir the old missiles for Luna-M (Frog-7) and Elbrus (Scud-B) missile systems. For many years I wondered what happened to them in Afganistan..
— Yuri Lyamin (@imp_navigator) September 14, 2021
via @RisboLensky pic.twitter.com/CjjlqwHrYc
पड़ताल
जिस पंजशीर को अब तक अभेद किला माना जाता था...उस पंजशीर के ज़्यादातर हिस्से पर अब तालिबान का कब्जा हो चुका है, यही वजह है कि पंजशीर (Panjshir) घाटी की तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं... लेकिन वायरल वीडियो में बंदूक या गोले-बारूद की नहीं बल्कि मिसाइलें बरामद का दावा किया जा रहा है...वीडियो का सच जानने के लिए हमने इसकी पड़ताल की...पड़ताल हमने वायरल हो रही ट्वीट से ही की...ट्वीट में जिन लूना-एम और एल्ब्रस मिसाइलों का जिक्र किया गया है.
हमने इन मिसाइलों बारे में जानकारी जुटाई...तो पता चला कि ये दोनों मिसाइलें सोवियत यूनियन निर्मित हैं...अब हमने वायरल तस्वीर को की-फ्रेमिंग कर इसे गूगल रिवर्स इमेज टूल पर सर्च किया तो हमें पत्रकार डैलन माल्यासोव की एक रिपोर्ट मिली. जिसके मुताबिक वायरल वीडियो सेंट्रल पंजशीर रिवर के पास आयुध डिपो का है...जहां तालिबानी लड़ाकों को सोवियत यूनियन की बनाई गई 9K72 एल्ब्रस और 9K52 लूना-एम मिसाइलें मिली हैं, इनमें 9K72 एल्ब्रस बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी रेंज 300 किलोमीटर तक है...जबकि 9K52 लूना-एम एक शॉर्ट-रेंज आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम है.. मिसाइलें किस कंडीशन में इसके बारे में रिपोर्ट में कोई जानकारी नहीं दी...
अब सवाल ये कि क्या तालिबान इन मिसाइलों का दुरुपयोग कर सकता है. ये जानने लिए हमने रिटायर्ड ब्रिगेडियर विजय सागर धीमान से बात की...तो उन्होंने बताया कि मिसाइलों को देखने से लगता है कि ये इस कंडीशन में नहीं कि इनका इस्तेमाल किया जा सके. उन्होंने ये भी बताया कि ये मिसाइलें 1980 के दशक में सोवियत यूनियन के सैनिक पंजशीर लेकर आए होंगे, जिन्हें छोड़कर उन्हें वापस लौटना पड़ा. इस तरह हमारी पड़ताल में वीडियो के साथ किया जा रहा दावा काफी हद तक सही पाया गया है....सेंट्रल पंजशीर में तालिबानी लड़ाकों को मिसाइलों का जखीरा मिला है...लेकिन ये मिसाइलें ठीक हालत में हैं या नहीं...ये पुख़्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है.
HIGHLIGHTS
- सोशल मीडिया पर लोगों को डरा रहा वीडियो
- वीडियो अफगानिस्तान के पंजशीर का बताया जा रहा है
- न्यूज नेशन की पड़ताल में सच निकला दावा