लोहे के कंटेनरों में कैद हैं पंजशीर के लोग...न्यूज़ नेशन की पड़ताल में सामने आया सच

सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो में तालिबानियों की क्रूरता दिखने का दावा किया जा रहा है, दावे के मुताबिक वायरल वीडियो अफ़गानिस्तान के पंजशीर के हैं..

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Vijay Shankar
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Panjshir( Photo Credit : News Nation)

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सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो में तालिबानियों की क्रूरता दिखने का दावा किया जा रहा है, दावे के मुताबिक वायरल वीडियो अफ़गानिस्तान के पंजशीर के हैं...वीडियो में कारों पर कुछ हथियारबंद लोग नज़र आ रहे हैं, ये कार से उतरते ही एक शख़्स को बाहर निकालते हैं और रायफल की बट से पीटने लगते हैं, फिर इसे धकेलते हुए लोहे के कंटेनर में बंद कर देते हैं. वीडियो में कुछ और लोगों के साथ भी ऐसा ही बर्ताव होते दिखाया जा रहा है. दावा है कि इन लोगों को तालिबान से बग़ावत की सजा दी जा रही है. इन लोगों को लोहे के इतने मजबूत कंटेनरों में बंद किया जा रहा है, जिससे ये कभी नहीं निकल पाएंगे. वीडियो को शेयर करते हुए पंजशीर रेजिसटेंस नाम के यूजर ने लिखा "काबुल और पंजशीर में क्या हो रहा है?" 

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पंजशीर घाटी के एक बड़े हिस्से पर कब्जा करने के बाद तालिबानी लड़ाके नरसंहार पर उतर आए हैं. अमरुल्ला सालेह के भाई की तालिबानी लड़ाकों ने गोली मारकर हत्या कर दी और एक पुलिस अधिकारी को सरेआम सज़ा-ए-मौत दी. उन लोगों को भी चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है जो तालिबान के खिलाफ आवाज उठाने वाले विद्रोही गुट का समर्थन कर रहे थे, लेकिन क्या इन लोगों को लोहे के कंटेनरों में क़ैद किया जा रहा है. सच जानने के लिए हमने वीडियो की पड़ताल की...इस दौरान हमने कुछ की शब्दों की मदद से इस वीडियो को इंटरनेट पर सर्च किया, साथ ही अफगानिस्तान के हालात पर रिपोर्ट करने वाले जर्नलिस्ट के ट्वीट सर्च खंगाले. तभी हमें बैंजमिन नाम के एक यूजर का ट्वीट मिला जिसमें वायरल हो रहे वीडियो की तस्वीरें अटैच की गई थी, लेकिन इस ट्वीट में जो जानकारी दी गई उसके मुताबिक वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं है, बल्कि ये तालिबतान की क्रूरता पर बनी फिल्म अभारा का एक सीन है, इस फिल्म में साल 1996 से 2001 के बीच तालिबानी शासन के आतंक को दिखाया गया था, काबुल से लेकर अफगान बॉर्डर पर मौजूद अमू दार्या में तालिबानी आतंक की कहानी इस मूवी का हिस्सा थी, फिल्म को सिद्दीक अबेदी ने डायरेक्ट किया था. 

हमने इस मूवी के बारे में सर्च किया तो ये यू-ट्यूब पर करीब डेढ़ घंटे की पूरी फिल्म मिल गई...जिसे दिसंबर 2017 में अपलोड किया गया था. फिल्म के सैंतालिसवें मिनट पर यही सीन दिखाया गया है. जिसे पंजशीर में अभी के हालात से जोड़ा जा रहा है. 

इस तरह हमारी जांच में साफ हो गया कि कैमरे में कैद तालिबानी कैदखाने का जो दावा किया जा रहा है वो पूरी तरह गलत है. ये वीडियो एक फिल्म का हिस्सा है जोकि तालिबान पर काफी पहले बनाई जा चुकी है. 

HIGHLIGHTS

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक वीडियो
वायरल वीडियो अफ़गानिस्तान के पंजशीर के हैं
वीडियो में कारों पर कुछ हथियारबंद लोग नज़र आ रहे 

Source : Vinod kumar

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