अल्पसंख्यक मंत्रालय को लेकर ऐसा दावा किया जा रहा है कि इसे जल्द खत्म कर दिया जाएगा. इसका विलय समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में किया जाएगा. केंद्र सरकार इस मसौदे को लाने की तैयार कर रही है. यह दावा एक मीडिया रिपोर्ट में किया गया है. इसमें कहा गया है कि अल्पसंख्यक मंत्रालय को खत्म तो किया जाएगा, लेकिन मंत्रालय द्वारा लागू की जा रही सभी योजनाओं को विलय के बाद भी जारी रखा जाएगा. हालांकि इसे लेकर किसी विभाग या मंत्रालय द्वारा कोई सूचना नहीं मिली है.
रिपोर्ट का कहना है कि भाजपा की अगुवाई में एनडीए सरकार का मानना है कि अल्पसंख्यक मामलों के लिए एक स्वतंत्र मंत्रालय की कोई जरूरत नहीं है. उनका मानना है कि यूपीए की मनमोहन सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति के कारण वर्ष 2006 में एक अलग मंत्रालय का गठन किया था.
इस मामले में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि मंत्रालय को खत्म करके मोदी सरकार समाज को बांटने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा, बीती मनमोहन सरकार का इसके लिए अगल मंत्रालय बनाने का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं से जोड़कर मुख्यधारा में शामिल करना था. वहीं अब भाजपा सरकार राजनीतिक लाभ को लेकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हर मौके का उपयोग कर रही है. इस मामले में पीआईबी फैक्ट चेक टीम ने पड़ताल की, तो पाया कि यह सूचना पूरी तरह से फर्जी हैं. इस तरह का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा नहीं दिया गया है. यह सूचना पूरी तरह से फर्जी बताई गई है. पीआईबी का कहना है कि यह खबरे सामाज में भाईचारे को खत्म करती हैं. इससे देश का माहौल खराब होता है.
HIGHLIGHTS
- 2006 में एक अलग मंत्रालय का गठन किया था
- सभी योजनाओं को विलय के बाद भी जारी रखा जाएगा
Source : News Nation Bureau