पिछले साल जून से फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित 89 स्मार्टफोन एप्लिकेशन के उपयोग पर भारतीय सेना द्वारा लगाया गया प्रतिबंध अत्यधिक सफल रहा है. 13 लाख से अधिक जवानों वाली भारतीय सेना में केवल आठ कर्मियों को प्रतिबंध का उल्लंघन करते पाया गया है. आधिकारिक सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि पिछले साल 15 जुलाई को लागू हुए प्रतिबंध का पालन करने के लिए कम से कम 730 सेना अधिकारियों को अधिकृत किया गया है. इन एप्स में सरकार द्वारा आम जनता के लिए प्रतिबंधित 59 चीनी एप शामिल हैं. हालांकि सेना ने व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, एला, स्नैपचैट, पबजी, मैसेंजर, ट्रू कॉलर, एंटी-वायरस 360 सिक्योरिटी, टिंडर, टंबलर, रेडिट, हंगामा, सोंग्स.पीके, कैम स्कैनर, ओके क्यूपिड, टंबलर, डेली हंट और अन्य आम एप के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया है. इनमें से अधिकांश एप अमेरिकी और चीनी हैं.
पिछले साल पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत और चीनी सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सेना ने साइबर हमले, डिजिटल डेटा के अवैध उपयोग और संवेदनशील जानकारी को लीक होने से रोकने के लिए प्रतिबंध लगाया था. पिछले कुछ वर्षों में ऐसे मामले देखने को मिले हैं, जिनमें फेसबुक के माध्यम से भारतीय सेना के जवानों को हनीट्रैप में फंसाया गया और भारतीय सेना और सरकार से संबंधित संवेदनशील जानकारी लीक करने का प्रयास किया गया.
एक अधिकारी ने कहा, पांच साल पहले तक, हमारे कर्मियों के लिए सब कुछ खुला था. कोई भी कुछ भी एक्सेस कर सकता था. हालांकि सेना आधिकारिक कार्य के लिए व्हाट्सएप और निजी जीवन के लिए फेसबुक के उपयोग पर कई निर्देश जारी करती थी, लेकिन पिछले साल जून में इसने एप्स के उपयोग पर उल्लंघन के लिए कड़े नियम बना दिए. देशभर में प्रत्येक सैनिक और अधिकारी पर सख्ती से प्रतिबंध लागू किया गया है. उन्होंने प्रतिबंधित किए गए प्लेटफॉर्म्स से अपने अकाउंट को डिलीट कर दिया है और अपने फोन पर कोई भी एप्लिकेशन इंस्टॉल नहीं की है.
आधिकारिक सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि लगभग 730 अधिकृत अधिकारी इसी चीज की समीक्षा करने में लगे हुए हैं कि क्या सेना के जवान हर हाल में नियम का पालन कर रहे हैं या फिर किसी एप्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. अनुपालन को लेकर प्रमाणपत्र जारी किया जाता है. अभी तक केवल आठ मामलों में नियमों का उल्लंघन पाया गया है. सूत्रों ने कहा कि उल्लंघन के लिए वही सजा दी जाती है, जो सेना में अनुशासनहीनता के लिए पारंपरिक दंड का प्रावधान है.
सूत्रों ने कहा कि कुछ मामलों में कर्मियों को हफ्तेभर के लिए उनकी पीठ पर रेत की बोरियों को रखकर मैदान के चक्कर लगाने की सजा दी गई है. सूत्रों ने कहा कि गंभीर मामलों में सजा भी कड़ी दी जा रही है, जिसमें निलंबन या सेवाओं को समाप्त करना शामिल है. एक अधिकारी ने कहा, लेकिन भारतीय सेना एक उच्च अनुशासित संस्था है और प्रतिबंध अब तक काफी प्रभावी साबित हुए हैं.
हालांकि, सैन्य संस्थानों, अकादमियों और कार्यालयों के भीतर सेना को सामग्री की निगरानी के लिए अपने डेस्कटॉप पर इंटरनेट ब्राउजर पर फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों तक पहुंचने की अनुमति है. सूत्रों ने कहा कि किसी भी कर्मी को अकाउंट बनाने या एप्स रखने की अनुमति नहीं है.
सेना के सूत्रों ने कहा कि सेना में हर कोई अब अपने परिवार और दोस्तों के साथ पुराने तरीके से ही जुड़ता है. एक अधिकारी ने कहा, "हम सभी निजी मैसेज और सोशल मीडिया के बजाय फोन पर बात करते हैं." हालांकि सेना के जवानों और अधिकारियों के परिवारों पर यह प्रतिबंध नहीं है. एक अधिकारी ने कहा कि वे आम नागरिक हैं, इसलिए जो अन्य लोगों के समान अधिकार के हकदार हैं. सूत्रों ने कहा कि संदेश और विशेष जैसे कुछ इन-हाउस एप्लिकेशन हैं, जिनका इस्तेमाल सेना के जवान मैसेजिंग उद्देश्यों के लिए करते हैं.
Source : IANS