Koo app is closed : भारतीय सोशल माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo अब पूरी तरह से बंद होने जा रहा है. इस बात की जानकारी कंपनी के को -फाउंडर मयंक बिदावतका ने दी है. उन्होंने अपने LinkedIn पोस्ट में बताया कि वे अब सार्वजनिक तौर पर अपनी Koo सर्विस को बंद कर रहे हैं. आपको बता दें कि यह फैसला Koo और Dailyhunt के बीच बातचीत के बाद लिया गया. बिदावतका ने इस बात की जानकारी एक पोस्ट के जरिए दी.
बिदावतका ने अपनी पोस्ट में लिखते हुए बताया कि उन्होंने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों, ग्रुपों , और मीडिया हाउसेस के साथ साझेदारियों करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई ऑप्शन नहीं मिला सका. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया ऐप को चालू रखने के लिए टेक्नोलॉजी सर्विस की लागत काफी ज्यादा होती है. टेक्नोलॉजी सर्विस की लागत ज्यादा होने की वजह से उन्होंने यह फैसला लिया है. बिदावतका का यह फैसला Koo यूजर्स के लिए काफी दुःखद है.
Koo की हिस्ट्री
भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo की कहानी मार्च 2020 में शुरू हुई थी. इसे शुरू करने वाले अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका थे, जिन्होंने इसे लॉन्च किया था. यह एप्लिकेशन अगस्त 2020 में भारत सरकार द्वारा आयोजित आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज को जीतकर लोगों में अपनी एक पहचान बना ली थी. इस दौरान , Koo को भारतीय उत्पादों और सेवाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था, और इसे ट्विटर का भारतीय उत्तर माना गया था.
अप्रैल 2023 कर्मचारियों की संख्या में कटौती
हालांकि, अप्रैल 2023 तक, Koo ने अपने खर्चो को सही करने के लिए कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने का निर्णय लिया. इस दौरान, उन्होंने अपनी 260 सदस्यीय टीम को लगभग 30% तक कम करते हुए लगभग 80 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. यह निर्णय उन्होंने ऐप के आर्थिक संकट से निपटने के लिए लिया था.
Koo अपने यूजर्स के लिए अलग तरह के फीचर प्रोवाइट करने का मिशन रखा था, जिसमें स्थानीय भाषाओं में प्लेटफॉर्म का यूज करने की क्षमता शामिल थी, खासकर भारत में बोली जाने वाली भाषाओं में. उन्होंने दुनिया भर में देखा कि अधिकांश सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म्स,भारत में एक्स (पूर्व में ट्विटर), अंग्रेजी में प्रमुख हैं. ऐसे माहौल में, जहां लगभग 80 % तक आबादी अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में भी बोलती है, Koo ने एक मजबूत जरूरत पहचानी.
Koo का उद्देश्य था कि वे अभिव्यक्ति को लोकतांत्रिक बनाएं और लोगों को उनकी स्थानीय भाषाओं से जोड़ें, ताकि वे अपनी बात आसानी से शेयर कर सकें और सोशल मीडिया का यूज कर सकें बिना किसी दिक्कत के. इसके जरिए से, Koo ने भारतीय यूजर्स को एक स्थानीय और सुरक्षित माध्यम प्रदान किया जिसे वे अपनी भाषा में बात-चीत के रूप में यूज कर सकते थे.
स्वदेशी मीडिया प्लेटफॉर्म बनाने का था उद्देश्य
मयंक बिदावतका के बयान से पता चलता है कि Koo के को -फाउंडर ने अपनी कंपनी को भारत का एक स्वदेशी सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म बनाने का उद्देश्य रखा था. उन्होंने कहा है कि वे अपने प्रोडक्ट को बहुत कम समय में ग्लोबल लेवल पर बढ़ाने में सफल रहे और Koo का लाइक रेशियो Twitter के मुकाबले काफी ज्यादा था, जिससे यह प्लेटफॉर्म क्रिएटर्स के लिए ज्यादा अनुकूल बन गया.
उन्होंने इसे शेयर किया कि Koo ने अपने यूजर्स को स्थानीय भाषाओं में अपने बोलचाल करने की सुविधा प्रदान करने के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक अनुभव को बढ़ावा दिया. इसके अलावा, उनकी योजना थी कि वे Twitter को भारत में पीछे छोड़ेंगे, लेकिन वित्तीय समस्याओं के कारण यह लक्ष्य पूरा नहीं कर पाया. वहीं मयंक बिदावतका ने यह भी बताया है कि Koo की टीम अभी भी एक अच्छे सौदे की तलाश में है.
Source : News Nation Bureau