मैं स्‍मार्टफोन छोड़ने की सोच रहा हूं, फेसबुक को आधार से जोड़ने की याचिका पर सुनवाई के दौरान बोले जस्‍टिस दीपक गुप्‍ता

जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा, आखिर किसी को ऑनलाइन ट्रोल करने या चरित्र के बारे में झूठ फैलाने की इजाजत कैसे दी जा सकती है. एक आम आदमी के लिए क़ानूनी राहत के क्या विकल्प हैं?

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Sunil Mishra
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मैं स्‍मार्टफोन छोड़ने की सोच रहा हूं, फेसबुक को आधार से जोड़ने की याचिका पर सुनवाई के दौरान बोले जस्‍टिस दीपक गुप्‍ता

मैं स्‍मार्टफोन छोड़ने की सोच रहा हूं, SC के जस्‍टिस दीपक गुप्‍ता बोले

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फेसबुक प्रोफाइल और व्हाट्सअप को आधार से जोड़े जाने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा, सोशल मीडिया का ग़लत इस्तेमाल देश के लिए बड़ा खतरा बन गया है. सरकार को इसे रोकने के लिए जल्द कदम उठाने चाहिए. जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा, आखिर किसी को ऑनलाइन ट्रोल करने या चरित्र के बारे में झूठ फैलाने की इजाजत कैसे दी जा सकती है. एक आम आदमी के लिए क़ानूनी राहत के क्या विकल्प हैं? मैं ख़ुद अपना स्मार्ट फोन छोड़ने के बारे में सोच रहा हूं.

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जस्टिस दीपक गुप्ता बोले, हम कहकर नहीं बच सकते कि हमारे पास इसे रोकने के लिए तकनीक नहीं है. अगर तकनीक के जरिये किसी को ट्रोल किया जा सकता है, तो इसी के जरिये रोका भी जा सकता है. उन्‍होंने यह भी कहा, ना तो सुप्रीम कोर्ट और ना ही हाईकोर्ट सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के गाइडलाइंस बना सकता है. ये सिर्फ सरकार ही कर सकती है.

जस्टिस दीपक गुप्ता बोले, तकनीक का जैसा ग़लत इस्तेमाल हुआ है, वो अपने आपमें खतरनाक है. मैं ख़ुद अपना स्मार्टफोन छोड़ने और फिर से फीचर फोन का इस्तेमाल करने के बारे में विचार कर रहा हूं. इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, यह समझदारी भरा फैसला होगा. हममें से कई लोग ऐसा कर चुके हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से तीन हफ्ते के अंदर यह बताने को कहा है कि वो कितने समय के अंदर सोशल मीडिया के ग़लत इस्तेमाल को रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने जा रही है. कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति विशेष की निजता, देश की सम्प्रभुता और व्यक्ति विशेष की प्रतिष्ठा के बीच संतुलन कायम करने की ज़रूरत है.

सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी फेसबुक की याचिका पर सुनवाई के दौरान की है. फेसबुक ने इस मसले को लेकर अलग-अलग हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमों को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग की है. फेसबुक का कहना है कि अलग-अलग हाईकोर्ट में अलग फैसले आने से दुविधा भरी स्थिति हो सकती है और यह संभव नहीं है कि किसी राज्य में यूजर प्रोफाइल को आधार से लिंक किया जाए और बाकी देश में ऐसा न किया जाए.

Source : अरविंद सिंह

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