पहले सीन में बैकग्राउंड में शत्रुघ्न सिन्हा की आवाज़ 'श्याम कहां है? 'मेरे अपने' फ़िल्म का ये डायलॉग सुनाई पड़ता है और सामने एक आम लड़की का चेहरा दिखता है. लड़की बड़ी नजाकत से डायलॉग की तर्ज पर अपने होंठ हिलाती है. दूसरे सीन में स्कूल ड्रेस पहने दो लड़के 'दीवार' फ़िल्म के डायलॉग की नकल करने की कोशिश करते हैं... 'मेरे पास आज गाड़ी है, बंगला है. तुम्हारे पास क्या है?' ये सब इतना मज़ेदार होता है कि देखते ही हंसी से लोटपोट हो जाते हैं. इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला हर शख़्स ऐसे छोटे-छोटे वीडियो से दो-चार होता है. ऐसे ज़्यादातर वीडियो चीनी ऐप 'टिक-टॉक' की देन हैं.
क्या है 'टिक-टॉक'?
'टिक-टॉक' एक सोशल मीडिया ऐप्लिकेशन है जिसके जरिए स्मार्टफ़ोन यूज़र छोटे-छोटे वीडियो (15 सेकेंड तक के) बना और शेयर कर सकते हैं. 'बाइट डान्स' इसके स्वामित्व वाली कंपनी है जिसने चीन में सितंबर, 2016 में 'टिक-टॉक' लॉन्च किया था. साल 2018 में 'टिक-टॉक' की लोकप्रियता बहुत तेज़ी से बढ़ी और अक्टूबर 2018 में ये अमरीका में सबसे ज़्यादा डाउनलोड किया जाने वाला ऐप बन गया. गूगल प्ले स्टोर पर टिक-टॉक का परिचय 'Short videos for you' (आपके लिए छोटे वीडियो) कहकर दिया गया है.
भारत में 'टिक-टॉक' का क्रेज
टिक-टॉक के डाउनलोड का आंकड़ा 100 मिलियन से ज़्यादा है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इसे हर महीने लगभग 20 मिलियन भारतीय इस्तेमाल करते हैं. भारतीयों में टिक-टॉक की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आठ मिलियन लोगों ने गूगल प्ले स्टोर पर इसका रिव्यू किया है. दिलचस्प बात ये है कि 'टिक-टॉक' इस्तेमाल करने वालों में एक बड़ी संख्या गांवों और छोटे शहरों के लोगों की है. इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि टिक-टॉक की दीवानगी सात-आठ साल की उम्र के छोटे-छोटे बच्चों के तक के सिर चढ़कर बोल रही है. इतना ही नहीं, अब बॉलीवुड के कई बड़े सेलिब्रिटी जैसे श्रद्धा कपूर, टाइगर श्रॉफ़ और नेहा कक्कड़ भी टिक-टॉक पर आ चुके हैं.
'टिक टॉक' की कुछ ख़ास बातें
टिक-टॉक से वीडियो बनाते वक्त आप अपनी आवाज का इस्तेमाल नहीं कर सकते. आपको 'लिप-सिंक' करना होता है. जहां फेसबुक और ट्विटर पर 'ब्लू टिक' पाने यानी अपना अकाउंट वेरिफ़ाई कराने के लिए आम लोगों को ख़ासी मशक्कत करनी पड़ती है वहीं, टिक-टॉक पर वेरिफ़ाइड अकाउंट वाले यूजर्स की संख्या बहुत बड़ी है. वहीं इसमें 'ब्लू टिक' नहीं बल्कि 'ऑरेंज टिक' मिलता है. जिन लोगों को 'ऑरेंज टिक' मिलता है उनके अकाउंट में 'पॉपुलर क्रिएटर' लिखा दिखाई पड़ता है. साथ ही अकाउंट देखने से ये भी पता चलता है कि यूजर को कितने 'दिल' (Hearts) मिले हैं, यानी अब तक कितने लोगों ने उसके वीडियो पसंद किए हैं.
आमदनी का जरिया
टिक-टॉक के कुछ फ़ायदे भी हैं. खासकर गांव और छोटे शहरों के लिए ये एक अच्छा प्लेटफ़ॉर्म बनकर उभरा है. कई लोग इसके ज़रिए अपने शौक पूरे कर रहे हैं. मसलन अगर कोई अच्छी कॉमेडी करता है या अच्छा डांस करता है तो उसके लिए टिक-टॉक अपनी प्रतिभा को दिखाने का अच्छा मंच है. इसके साथ ही बहुत से लोग इसके ज़रिए पैसे भी कमा रहे हैं. हरियाणा के रहने वाले साहिल के टिक-टॉक पर 3,0,3200 फ़ालोअर हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया कि अपने वीडियो के जरिए हर महीने 3,000-5,000 रुपये तक मिल जाते हैं. साहिल चाहते हैं उनका अकाउंट वेरिफाई हो जाए और उनके फ़ॉलोअर्स 10 लाख तक पहुंच जाएं. बिहार के उमेश मुखिया अब तक वीगो ऐप पर अपनी कॉमेडी के वीडियो पोस्ट करते हैं. उन्हें इसके ज़रिए हर महीने लगभग 5-10,000 रुपये तक की आमदनी हो जाती है. बीबीसी से बातचीत में उमेश ने बताया, "मेरे जैसे ग़रीब इंसान के लिए 10,000 रुपये बहुत मायने रखते हैं. अब मैं टिक-टॉक आज़माने की भी सोच रहा हूं."
कैसे होती है कमाई?
टेक वेबसाइट 'गैजेट ब्रिज़' के संपादक सुलभ पुरी बताते हैं कि किसी देश में ऐप लॉन्च करने के बाद ये कंपनियां अलग-अलग कुछ जगहों से लोगों को बाक़ायदा हायर करती हैं. आम तौर पर ऐसे लोगों को हायर किया जाता है जो देखने में अच्छे हों, जिन्हें कॉमेडी करनी आती हो, जिनमें गाना गाने या डांस करने जैसी स्किल हों. इन्हें रोज़ाना कुछ वीडियो डालने होते हैं और इसके बदले उन्हें कुछ पैसे मिलते हैं. इसके अलावा ये फ़िल्मी सितारों या उन कलाकारों को भी इसमें शामिल करते हैं जो स्ट्रगल कर रहे हैं या करियर के शुरुआती मोड़ पर हैं. इस तरह उन्हें पैसे भी मिलते हैं और एक प्लैटफ़ॉर्म भी. दूसरी तरफ़ कंपनी का प्रचार-प्रसार भी होता है. "इसके अलावा कंपनी और यूज़र्स के लिए कमाई का एक अलग मॉडल भी. मिसाल के लिए अगर कोई अपने वीडियो में कोका-कोला की एक बॉटल दिखाता है या किसी शैंपू की बॉटल दिखाता है तो ब्रैंड प्रमोशन के ज़रिए भी दोनों की कमाई होती है." टेक वेबसाइट 'गिज़बोट' के टीम लीड राहुल सचान के अनुसार अगर यूज़र की कमाई की बात करें तो ये व्यूज़, लाइक, कमेंट और शेयर के अनुपात को देखते हुए तय होती है.
राहुल बताते हैं कि आजकल ज़्यादातर सोशल मीडिया ऐप्स व्यूज़ के मुकाबले 'इंगेजमेंट' और 'कन्वर्सेशन' पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं. यानी आपके वीडियो को जितने ज़्यादा लोग रिऐक्ट करेंगे और जितने ज़्यादा लोग कमेंट करेंगे, आपकी कमाई भी उतनी ज़्यादा होने की संभावना होगी.
सिर्फ़ फ़ायदे नहीं, ख़तरे भी हैं
ऐसा नहीं है कि टिक-टॉक में सब अच्छा ही है. इसका एक दूसरा पहलू भी है. गूगल प्ले स्टोर पर कहा गया है कि इसे 13 साल से ज़्यादा उम्र के लोग ही इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि इसका पालन होता नहीं दिखता. भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में टिक-टॉक के जरिए जो वीडियो बनाए जाते हैं उसमें एक बड़ी संख्या 13 साल से कम उम्र के लोगों की है.
प्राइवेसी लीक का डर
प्राइवेसी के लिहाज़ से टिक-टॉक ख़तरों से खाली नहीं है. क्योंकि इसमें सिर्फ़ दो प्राइवेसी सेटिंग की जा सकती है- 'पब्लिक' और 'ओनली'. यानी आप वीडियो देखने वालों में कोई फ़िल्टर नहीं लगा सकते. या तो आपके वीडियो सिर्फ़ आप देख सकेंगे या फिर हर वो शख़्स जिसके पास इंटरनेट है. अगर कोई यूज़र अपना टिक-टॉक अकाउंट डिलीट करना चाहता है तो वो ख़ुद से ऐसा नहीं कर सकता. इसके लिए उसे टिक-टॉक से रिक्वेस्ट करनी पड़ती है. चूंकि ये पूरी तरह सार्वजनिक है इसलिए कोई भी किसी को भी फ़ॉलो कर सकता है, मेसेज कर सकता है. ऐसे में कोई आपराधिक या असामाजिक प्रवृत्ति के लोग छोटी उम्र के बच्चे या किशोरों को आसानी से गुमराह भी कर सकते हैं.
Source : News Nation Bureau