"बाबा की बूटी" सीरीज में हम आपको उन अनोखे उपचार विधियों से परिचित करा रहे हैं. इनमें लोग अपनी पारंपरिक तकनीकों से बीमारियों का इलाज करते हैं. आज हम पहुंचे हैं जम्मू-कश्मीर के अखनूर इलाके के चौकी चोरा के मुख्याणी गांव में, जहां एक परिवार पिछले 50 सालों से पीलिया का उपचार कर रहा है. इस परिवार के हरबंस और सुनील नामक दो भाई पीलिया से पीड़ित लोगों का इलाज करते हैं. पहले उनके पिता भी यही इलाज करते थे और अब उनके निधन के बाद दोनों भाई इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. यह परिवार दावा करता है कि यहां देश के कई हिस्सों से लोग आते हैं, जिनकी बीमारी डॉक्टरों के इलाज से ठीक नहीं होती. पीलिया से परेशान लोग यहां आकर पारंपरिक उपचार से ठीक होकर लौटते हैं.
कैसे होता है उपचार
हरबंस और सुनील का उपचार विधि सरल है, लेकिन इसे करने का तरीका काफी अनोखा है. यहां पहुंचने वाले मरीजों से सरसों के तेल की एक छोटी बोतल और एक नींबू लाने को कहा जाता है. इसके बाद ध्रुव घास का उपयोग करते हुए तेल और नींबू से उपचार किया जाता है. उपचार के दौरान मरीज से कहा जाता है कि वह कटोरी में सरसों के तेल को ध्यान से देखें. ऐसा दावा किया जाता है कि तेल का रंग पीला दिखाई देने लगता है. परिवार का कहना है कि कई गंभीर पीलिया मरीज, जिनके पीलिया के स्तर 40 पॉइंट तक होते हैं. इसमें बच्चों के लिए भी खास इलाज होता है. उन्हें सुरमे की एक डिब्बी दी जाती है, जो बच्चों के पीलिया को ठीक करने में सहायक मानी जाती है.
मरीजों का विश्वास
यहां इलाज करवाने आए मरीजों का कहना है कि डॉक्टरों की दवाइयां जब बेअसर हो जाती हैं, तब वे इस परिवार का रुख करते हैं. कई लोगों का मानना है कि इस परिवार की पारंपरिक विधि से उन्हें काफी लाभ मिला है और यहां से ठीक होकर लौटे लोगों में कुछ अधिकारी और डॉक्टर भी शामिल हैं. लोगों का कहना है कि यह कोई अंधविश्वास नहीं है, बल्कि एक पारंपरिक उपचार पद्धति है. इससे लोगों को राहत मिलती है. यही कारण है कि यहां पर हर दिन बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं.