गर्भस्थ और नवजात बच्चों में खतरनाक हेमोलीटिक एनीमिया रोग (एचडीएफएन) के लिए लगातार नई-नई दवाओं को लेकर प्रयोग किए जा रहे हैं. नई दवा निपोकैलिमैब का परीक्षण किया जा रहा है. इसके तहत आशाजनक परिणाम सामने आए हैं. यह एनीमिया के विकास की गति को सुस्त कर देती है जिससे हाई रिस्क प्रेगनेंसी में गर्भ के अंदर ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं पड़ती है.
एचडीएफएन एक गंभीर स्थिति तैयार करती है. इसमें मां और उसके भ्रूण का ब्लड टाइप असंगत होता है, जिससे बच्चे में जानलेवा एनीमिया हो जाता है. वर्तमान उपचार में आम तौर पर कई अल्ट्रासाउंड करते हुए गर्भ के अंदर ही ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जाता है. इसमें भ्रूण की मृत्यु, झिल्ली का समय से पहले टूटना और समय से पहले जन्म जैसे कई तरह के जोखिम होते हैं.
गर्भ में भ्रूण का इलाज सुरक्षित और आसान हो जाएगा
ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के डेल मेडिकल स्कूल में महिला स्वास्थ्य विभाग की प्रोफेसर डॉ.केनेथ मोइज जूनियर के अनुसार, यदि आगे के अध्ययन एचडीएफएन के इलाज के लिए निपोकैलिमैब के उपयोग का समर्थन करते हैं तो इससे गर्भवती माताओं के लिए गर्भ में भ्रूण का इलाज सुरक्षित और आसान हो जाएगा.
इस शोध में 13 गर्भवती महिलाओं पर अध्ययन किया गया. इनके पहले गर्भाधान के बाद एचडीएफएन के कारण भ्रूण की मौत हो गई थी. कुछ समय पहले गर्भ के अंदर ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराना पड़ा था. डीएनए परीक्षणों से संकेत मिलता है कि उनके वर्तमान भ्रूण एचडीएफएन के उच्च जोखिम में थे. प्रतिभागियों को गर्भावस्था के 14 से 35 सप्ताह के बीच निपोकैलिमैब का इंजेक्शन दिया गया. उल्लेखनीय रूप से 54 प्रतिशत प्रतिभागियों ने 32 सप्ताह या उसके बाद बिना रक्त आधान की आवश्यकता के जीवित शिशुओं को जन्म दिया और कुछ को जन्म के बाद भी रक्त ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता नहीं पड़ी.
भ्रूण की लाल रक्त कोशिकाओं की रक्षा होती है
इसके अतिरिक्त, किसी भी बच्चे में भ्रूण हाइड्राप्स (भ्रूण में तरल पदार्थ के संचय के कारण जीवित रहने की दर कम हो जाना) विकसित नहीं हुआ, जो एक खतरनाक स्थिति है. निपोकैलिमैब प्लेसेंटा में हानिकारक एंटीबॉडी के स्थानांतरण को रोककर काम करता है. इसके भ्रूण की लाल रक्त कोशिकाओं की रक्षा होती है. डॉ.मोइज ने कहा कि निपोकैलिमैब विकास के चरण में एकमात्र ऐसी दवा है, जिसमें भ्रूण/नवजात एलोइम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और रुमेटीइड गठिया सहित विभिन्न एलोइम्यून और ऑटोएंटीबॉडी रोगों का इलाज करने की क्षमता है.