Fibroids treatment: क्या आपको भी पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होती है या फिर पीरियड्स लंबे समय तक चलते हैं? कभी पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है या फिर जल्दी-जल्दी पेशाब आता है. कब्ज, पीठ दर्द और पैर दर्द जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो सावधान हो जाइए. ये सभी फाइब्रॉइड होने के लक्षण हैं. फाइब्राइड (Fibroids) महिलाओं के गर्भाशय में या इसके उपर होने वाली गांठ होती है. इसका आकार मूंग जितना छोटा या खरबूजे जितना बड़ा भी हो सकता है. यह अक्सर 30 या इससे ज्यादा उम्र की महिलाओं में होता है. इसे रसौली भी कहते हैं. वैसे तो यह बीमारी दवा और सर्जरी से ठीक की जा सकती है लेकिन आयुर्वेद में इसके घरेलू उपचार (Home Remedies of Fibroids) भी बताएं गए हैं. बच्चेदानी की गांठ हटाने के लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी. आयुर्वेद में हर्ब से इसका इलाज संभव है.
गर्भधारण करने में आती दिक्कत
आयुर्वेद डॉ. शरद कुलकर्णी ने हाल में ही एक वीडियो शेयर करके इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं को फाइब्राइड होता है उन्हें दूसरी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे पेट के निचले हिस्से में दर्द, हैवी ब्लीडिंग, सेक्स के दौरान दर्द, गर्भधारण करने में दिक्कत आदि. लेकिन समय रहते इस बीमारी का निदान करने उपचार करके आप इन सभी तकलीफों से बच सकती हैं.
आयुर्वेद में होता पंचकर्म
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में फाइब्राइड को ठीक करने के लिए पंचकर्म किया जाता है. इसमें वमन, विरेचन के साथ बस्ती भी शामिल होता है. इसके अलावा कुछ जड़ी-बूटी भी है जिसके मदद से फाइब्राइड को ठीक किया जा सकता है. बेहतर रिजल्ट के लिए डॉक्टर इसे पंचकर्म के साथ लेने की सलाह देते हैं.
त्रिफला का सेवन फायदेमंद
विशेषज्ञ की माने तो जिन्हें फाइब्रॉयड होती है उन्हें त्रिफला का सेवन करना चाहिए. एनसीबीआई में प्रकाशित एक स्टडी में भी त्रिफला को गर्भाशय में होने वाले फाइब्रॉयड में फायदेमंद माना गया है. इसमें एंटीनोप्लास्टिक एजेंट होते हैं. इसे आप पाउडर या काढ़े के रूप में ले सकते हैं.
गर्भाशय रसौली में आंवला बेहतर
आंवले में एंटी-फाइब्रोटिक प्रभाव होता है. इसमें मौजूद मोनोसोडियम ग्लूटामेट की वजह से गर्भाशय रसौली में आंवला बेहतर हो सकता है. इसके अलावा इसमें फेनोलिक और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी होता है जिसकी वजह से आवंला का सेवन फाइब्रॉयड में फायदेमंद साबित हो सकता है.
हल्दी रसौली को करता है कम
आयुर्वेद डॉक्टर हल्दी के सेवन की भी सलाह देते हैं. दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन नामक पॉलीफेनोल होता है. इसमें एंटीप्रोलिफेरेटिव और एंटीफिब्रोटिक प्रभाव होते हैं. एंटीप्रोलिफेरेटिव इफेक्ट ट्यूमर सेल को बढ़ने से रोक सकता है और एंटीफिब्रोटिक प्रभाव रसौली को कम करने के लिए जाना जाता है.
कचनार गुग्गुल भी है विकल्प
आयुर्वेद में फाइब्रॉएड को सिकुड़ाने के लिए कचनार गुग्गुल का उपयोग किया जाता है. कचनार गूग्गुल कई औषधियों से मिलकर बनता है. इसमें कचनार की छाल, अदरक, काली मिर्च, पीपली, हरिटकी, बिभिटकी, अमलाकी (त्रिफला), वरुणा छाल, इलायची, गुग्गल गोंद की समान मात्रा शामिल होती है.
गिलोय के सेवन करें
आयुर्वेद में गिलोय को कई तरह की बीमारियों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में डॉक्टर शरद रसौली के लिए गिलोय के सेवन की सलाह देते हैं. इसका काढ़ा पीड़ित महिला में फाइब्रॉयड के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है.
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