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Hustle Culture: ऐसा काम कर देगा जीना हराम! आज ही छोड़ दें ये गंदी आदत

जानलेवा बन रहा hustle culture, जानिए इसे लेकर सोशल मीडिया पर क्यों छिड़ी है बहस. रिसर्च में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे. . आने वाले समय में ये और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है.

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Neha Singh
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Hustle Culture: आजकल बड़ी संख्या में लोग Hustle Culture को फॉलो कर रहे हैं. हाल में ही सोशल्स ऐप के फाउंडर कृतार्थ मित्तल भी हसल कल्चर की वजह से बीमार पड़ गए थे. उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था. social media पर इस कल्चर को लेकर बहस छिड़ी हुई है. नए अध्ययन से पता चला है कि हसल कल्चर यानी अधिक काम करने से कम उम्र में गंभीर शारीरिक और मानसिक क्षति पहुंचती है. कई लोगों का ये भी मानना है कि हसल कल्चर बड़ी कंपनियों के लिए बेहद कम सैलरी में लोगों से ज्यादा काम कराने और मुनाफा कमाने का जरिया है. डेलॉयट की ओर से अमेरिका में किए गए एक रिसर्च में सामने आया कि 77 प्रतिशत लोग नौकरी करने के बाद थकान का अनुभव करते हैं. इसके अलावा 42% लोग ऐसे थे जो खुद को थका हुआ महसूस करते हुए नौकरी छोड़ दी. आइए जानते हैं इसके बारे में. 

क्या है हसल कल्चर

आजकल लोगों के पास समय की कमी होती है. ऐसे में वे सफल होने के लिए ज्यादा से ज्यादा काम करने की कोशिश करते हैं. इसकी वजह से लोग न तो सही समय पर खाना खाते हैं और न ही पर्याप्त नींद ले पाते हैं. इस तरह के कल्चर का ट्रेंड बड़े शहरों में बढ़ रहा है और ओवरवर्क के इस ट्रेंड को हसल कल्चर (Hustle Culture) कहा जा रहा है. इस ट्रेंड की वजह से लोगों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ बुरी तरह प्रभावित हो रही है. यह कल्चर हार्ट हेल्थ के लिए ज्यादा खतरनाक है.

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

सोशल मीडिया पर हसल कल्चर को बढ़ावा देने के लिए तमाम पोस्ट हुए, उद्यमी एलन मस्क ने दावा किया कि उन्होंने सप्ताह में 80 घंटे तक काम किया है. पेप्सिको की प्रूर्व प्रमुख इंदिरा नूयी ने कहा कि कंपनी में काम करने के दौरान वह रात में चार घंटे से ज्यादा नहीं सोती थीं. हालांकि इन दिनों एक बड़ा वर्ग हसल कल्चर को सिर्फ अपनी कार्यशैली दिखाने मात्र का जरिया भर मानता है.

बढ़ रहा मानसिक और भावनात्मक

फोर्ब्स पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय तक काम करने के बाद मानसिक और भावनात्मक तनाव बढ़ रहा है. कई विशेषज्ञ इसे दूसरे तरीके से भी देखते हैं वह मानते हैं कि सफलता के लिए कड़ी मेहनत आवश्यक है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप बिना रुके काम करते रहे.

ओवर वर्किंग की वजह से हो रहीं मौतें

बीबीसी ने एक रिपोर्ट में इसका जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया भर में मलेरिया से ज्यादा मौतें ओवर वर्किंग की वजह से हो रही हैं. यह एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट है जो व्यक्तियों, कंपनियों और सरकारों से समान रूप से ध्यान देने की मांग करता है. आने वाले समय में ये और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है.

रिसर्च में सामने आया चौंकाने वाला तथ्य

डेलॉयट की ओर से अमेरिका में किए गए एक रिसर्च में सामने आया कि 77 प्रतिशत लोग नौकरी करने के बाद थकान का अनुभव करते हैं. इसके अलावा 42% लोग ऐसे थे जो खुद को थका हुआ महसूस करते हुए नौकरी छोड़ दी.

ये आंकड़े भी खतरनाक 

2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) सहित कई संस्थानों के लेखकों ने इस बात की पुष्टि की हर साल तीन चौथाई लोग हृदय रोग से मर रहे हैं (जिसे कोरोनरी हृदय रोग भी कहा जाता है), ये ऐसे लोग हैं जिन्होंने लंबे समय तक काम किया. इनमें से कई ऐसे भी थे जो सप्ताह में 55 घंटे से ज्यादा काम करते थे. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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