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Air Pollution: दिल्ली-NCR में बच्चों के लिए खतरे की घंटी, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जताई चिंता

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 90% से ज्यादा बच्चे हर रोज जहरीली हवा में सांस लेते हैं, ये भविष्य में कई प्रकार की बीमारियों के बोझ को बढ़ाने वाला हो सकता है.

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Neha Singh
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air pollution and child health

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Air Pollution: राजधानी दिल्ली की हवा लगातार खराब होती जा रही है. वायु की गुणवत्ता में दिनों-दिन गिरावट देखी जा रही है. मंगलवार की सुबह भी दिल्ली धुंध के आगोश में गुम दिखाई दी. सर्दी करीब आते ही दिल्ली-NCR में हवा का मिजाज पूरी तरह बदल जाता है. देश की राजधानी की एयर क्वालिटी काफी तेजी से गिरने लगती है. एयर पॉल्यूशन का सबसे बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है. इन दिनों दिल्ली-NCR में बच्चों के लिए खतरे की घंटी बज गई है. क्योंकि बच्चों की इम्यूनिटी बहुत कमजोर होती है. जिसकी वजह से वो वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं. दीपावली से पहले ही हवा में बढ़ते प्रदूषण को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंतित हैं. ऐसे में आपको अपने बच्चों की सेहत का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है. 

गर्भावस्था में प्रदूषण के संपर्क में आना भी खतरनाक 

यूरोपियन एनवायरमेंट एजेंसी (ईईए) की रिपोर्ट के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान अजन्मे बच्चे का प्रदूषण के संपर्क में आना भी खतरनाक होता है. बच्चों और किशोरों के लिए वायु प्रदूषण उसी तरह से खतरनाक माना जाता है जैसा कि वयस्कों के लिए. इतना ही नहीं जो बच्चे गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आ जाते हैं, उनमें भी कई प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताओं के विकसित होने का खतरा रहता है. बच्चे वायु प्रदूषण के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं. ईईए के विशेषज्ञों का मानना है कि हर साल वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं के चलते 18 वर्ष से कम आयु के 1,200 से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है. 

प्रदूषण से बच्चों में क्या होती है परेशानी? 

वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों और किशोरों में कई तरह की परेशानी देखने को मिल सकती हैं. जैसे उनका कम वजन, अस्थमा, फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी, श्वसन संक्रमण और एलर्जी जैसी समस्याओं का होना. स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं बच्चों की सांस लेने की दर वयस्कों की तुलना में अधिक होती है और वे शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम अधिक हवा भी लेते हैं. हवा के माध्यम से प्रदूषकों के शरीर में प्रवेश के कारण स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ने का अधिक जोखिम देखा जाता रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 90% से ज्यादा बच्चे हर रोज जहरीली हवा में सांस लेते हैं, ये भविष्य में कई प्रकार की बीमारियों के बोझ को बढ़ाने वाला हो सकता है.

बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता नकारात्मक प्रभाव

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वायु प्रदूषण से बच्चों के स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं. प्रदूषण से ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और अन्य श्वसन संक्रमण होने के चांसेज रहते हैं. कुछ शोध ये भी बताते हैं कि बच्चों में बढ़ते कुछ प्रकार के कैंसर के लिए भी बढ़ता प्रदूषण एक कारक हो सकता है. वायु प्रदूषण के कारण फौरी तौर पर बच्चों में  सिरदर्द, थकान, आंखों में सूखापन, एलर्जी और कई तरह की श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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