कोविड वायरस ( Corona Virus ) की दूसरी लहर ने मानव जाति पर भयंकर वार किया, जिससे देश में महामारी की स्थिति गंभीर रूप से बिगड़ गई है. कोरोना की दूसरी लहर में जहां लोग तरह-तरह की आशंकाओं में घिरे हैं तो वहीं उनमें मानसिक रूप से तनाव देखा जा रहा है. इस बीच कोविड संक्रमण पर एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि महामारी के पहले 6 महीनों के दौरान लगातार हर 9 वयस्कों में से एक वयस्क बहुत खराब या खराब मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहा है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि कोविड संक्रमण, स्थानीय लॉकडाउन और वित्तीय कठिनाइयों के कारण सभी के मानसिक स्वास्थ्य में थोड़ी-बहुत गिरावट आयी है.
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इस बारे में शोध करने वाले मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, किंग्स कॉलेज लंदन, कैम्ब्रिज, स्वानसी और सिटी विश्वविद्यालय से जुड़ी टीम ने कहा कि कोविड के दौरान जातीय अल्पसंख्यक समूहों के साथ सबसे अभाव से जूझ रहे लोग मानसिक स्वास्थ्य से बुरी तरह से प्रभावित है. द लैंसेट साइकेट्री में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि हालांकि दो तिहाई वयस्कों का एक ऐसा समूह भी था, जिनका मानसिक स्वास्थ्य महामारी से काफी हद तक अप्रभावित था.
मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कैथरीन एनेल ने कहा, 'हम इस बात से अवगत हैं कि सामाजिक और आर्थिक लाभों का एक महत्वपूर्ण प्रभाव है कि लोग सभी को प्रभावित करने वाले चुनौतियों का कितनी अच्छी तरह से सामना करने में सक्षम हैं.'
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स्वास्थ्य और सामाजिक असमानताएं जो हम महिलाओं के लिए और गरीबी में लोगों के बारे में पहले से जानते हैं, तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं और उनसे निपटने के लिए विभिन्न संसाधनों के विभिन्न बोझों से संबंधित हैं. टीम ने 19,763 वयस्कों पर अप्रैल और अक्टूबर 2020 के बीच मासिक सर्वेक्षणों का विश्लेषण किया था, ताकि विभिन्न विशिष्ट समूहों का खुलासा करते हुए मानसिक स्वास्थ्य में परिवर्तन के विशिष्ट पैटर्न की पहचान की जा सके.
( इनपुट - आईएएनएस )
HIGHLIGHTS
- कोविड पर नए शोध में चौंकाने वाला खुलासा
- 9 में से 1 वयस्क खराब मानसिक स्वास्थ्य का शिकार
- 'लॉकडाउन से मानसिक स्वास्थ्य में आई गिरावट'