ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (Oxford-Astrazeneca Vaccine) के दो डोज के बीच अंतर को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. हाल में आई एक स्टडी में कहा गया है कि ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन के दो डोज के बीच अगर 10 महीने का अंतर रखा जाए तो कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा बेहतर तरीके से काम करेगी. स्टडी में यह भी कहा गया है कि अगर तीसरा बूस्टर शॉट भी लगाया जाए तो वो एंटीबॉडी बढ़ाने में काफी कारगर साबित होगा. इस स्टडी के सामने आने के बाद देश में वैक्सीन की किल्लत को लेकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिल सकती है. स्टडी में पाया गया है कि वैक्सीन के पहले डोज के बाद करीब एक साल तक एंटी-बॉडी बनी रहती हैं. बूस्टर डोज के लिए कहा गया है कि इसे दूसरी डोज के छह महीने बाद दिया जा सकता है.
ये भी पढ़ें- भारत के गलत नक्शे को लेकर ट्विटर इंडिया के MD के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा
कई बार बदल चुका है दो वैक्सीन के बीच का अंतर
भारत में वैक्सीन का टाइम गैप कई बार बदला गया है. इस वक्त इसका टाइम गैप 12-16 हफ्ते का है. बता दें कि भारत का सीरम इंस्टिट्यूट ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन में पार्टनर रहा है. इस वैक्सीन का भारत में ट्रायल सीरम इंस्टिट्यूट ने ही किया था. सीरम इंस्टिट्यूट ने वैक्सीन का नाम कोविशील्ड रखा है. भारत में इस वक्त सबसे ज्यादा सप्लाई इसी वैक्सीन की है.
ये भी पढ़ें- दिल्ली दरबार में आज फिर पंजाब कांग्रेस पर पंचायत, राहुल और प्रियंका से मिलेंगे सिद्धू
एक और वैक्सीन का निर्माण कर रहा है सीरम
पुणे बेस्ड सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया कोरोना वायरस के बचाव की एक और वैक्सीन कोवोवैक्स का निर्माण शुरू कर दिया है. क्लीनिकल ट्रायल में कोवोवैक्स 90 प्रतिशत से ज्यादा असरदार पाई गई है. भारत में उसका ब्रीजिंग ट्रायल भी अंतिम दौर में है यानी जल्द ही देश को एक और कोरोना वैक्सीन मिलने वाली है. अगले महीने देश में बच्चों पर भी कोवोवैक्स का क्लीनिकल ट्रायल शुरू होने वाला है.
HIGHLIGHTS
- भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा है कोविशील्ड का उत्पादन
- अभी दो वैक्सीन में 12-16 सप्ताह का है टाइम गैप
- सीरम इंस्टीट्यूट एक और वैक्सीन पर कर रहा काम