Surya Namaskar:सूर्य नमस्कार के 12 आसान जो सर्दियों में आपको रखेगा तंदरुस्त, जानें इसके फायदे

आजकल की जीवनशैली में खुद को स्वस्थ रखना बहुत बड़ी चुनौती है. बदल रहे दिनचर्या और खानपान की वजह से हर व्यक्ति किसी ना किसी परेशानी का सामना कर रहा है. ऐसे में योग्याभ्यास के जरिए ही इंसान खुद को स्वस्थ रख सकता है.

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Prashant Jha
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surya namaskar( Photo Credit : file photo)

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आधुनिक जीवनशैली में खुद को स्वस्थ रखना बहुत बड़ी चुनौती है. इस चुनौती को मात देने के लिए अधिकांश लोग हर रोज योगाभ्यास करते हैं. योग्याभ्यास भी कई तरह के हैं, इसमें से एक महत्वपूर्ण योगासन है - सूर्य नमस्कार. यह विशेषकर आसनों का समूह है जो सूर्य की पूजा का रूप भी माना जाता है. सूर्य नमस्कार एक ऐसा योगासन है जो हमें सूर्य के ऊर्जा से जोड़ता है और शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है. इसका नाम तो सूर्य से आया है, लेकिन इसमें हम अपने सभी अंगों को बहुत्व से जोड़कर सूर्य की पूजा करते हैं. बताया जाता है कि प्रतिदिन जो व्यक्ति सूर्य नमस्कार करता है उसे किसी तरह की बीमारी छू नहीं सकती है. साथ ही वह काफी एक्टिव और तंदरुस्त रहता है.

सूर्य नमस्कार के प्रकार

प्रणामासन (Pranamasana): सूर्य नमस्कार का प्रारंभ होता है प्रणामासन से, जो आत्मा का समर्थन करता है. यह धन्यवाद और समर्पण का भाव बढ़ाता है.

हस्तुतासन (Hasta Uttanasana): इस आसन में हाथ ऊपर उठाए जाते हैं, जो शरीर को खोलकर रेडिएटर करता है और स्पाइन को स्ट्रेच करता है.

पादहस्तासन (Padahastasana): पैरों को छूने का यह आसन हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाता है और कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है.

आश्वासन (Ashwa Sanchalanasana): इस आसन में एक पैर आगे बढ़ाते हैं, जो पथरीले क्षेत्र को मजबूती देता है और हृदय को सक्रिय करता है.

धनुरासन (Dhanurasana): इस आसन से पेट, बैक, और गुदा क्षेत्र में लचीलापन आता है, जिससे सारे शरीर को स्ट्रेच मिलता है.

पर्वतासन (Parvatasana): इस आसन में पूरा शरीर ऊँचाई पर उठाया जाता है, जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है और स्पाइन को स्ट्रेच मिलता है.

अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara): इस आसन में शरीर को धरता है और आठ अंगों से संपर्क करता है, जो मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है.

भुजंगासन (Bhujangasana): इस आसन में शरीर को ऊपर उठाने से कमर को मजबूती मिलती है और साँस लेने में आसानी होती है.

पर्वतासन (Parvatasana): इस आसन में शरीर को पर्वत की तरह उठाने से हृदय को सक्रिय करता है और हाथों की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है.

ताड़ासन (Tadasana): सूर्य नमस्कार को समाप्त करने के लिए ताड़ासन आता है, जो शरीर को स्थिरता और स्थायिता की भावना प्रदान करता है.

सूर्य नमस्कार के लाभ

शारीरिक लाभ: सूर्य नमस्कार विभिन्न आसनों के माध्यम से शरीर के विभिन्न हिस्सों को स्ट्रेच करने में मदद करता है, जिससे शारीरिक लाभ होता है.

मानसिक स्वास्थ्य: नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और योगासनों का प्रचार-प्रसार करने के लिए यह एक अच्छा माध्यम है.

श्वास तंतुरता: सूर्य नमस्कार में समर्थता और स्थायिता का मूल्यांकन होता है, जिससे श्वास तंतुरता में सुधार होता है.

आत्मा संयम: सूर्य नमस्कार के द्वारा हम आत्मा का संयम बनाए रख सकते हैं और ध्यान की प्रक्रिया में सुधार कर सकते हैं.

सूर्य नमस्कार योगाभ्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है. यह सूर्य की पूजा का एक सुंदर रूप है जो हमें आत्मा के संयम और शारीरिक स्वास्थ्य का आनंद लेने में साहायक हो सकता है.

Source : News Nation Bureau

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