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नया खतरा: कोविड से उबरने के बाद 13 वर्षीय बच्चे का दिमाग निष्क्रिय

पिछले एक साल से ज्यादा समय से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) ने कोहराम मचा रखा है. वायरस अपने वैरिएंट बदल-बदल कर हमला कर रहा है. ऐसे में खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है और इस खतरे का अंत होता भी नहीं दिखाई दे रहा है.

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Ravindra Singh
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Corona Virus

सांकेतिक चित्र( Photo Credit : फाइल )

पिछले एक साल से ज्यादा समय से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) ने कोहराम मचा रखा है. वायरस अपने वैरिएंट बदल-बदल कर हमला कर रहा है. ऐसे में खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है और इस खतरे का अंत होता भी नहीं दिखाई दे रहा है. कोरोना संक्रमण की एक नई आपदा सामने आई है जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे.  कर्नाटक (Karnataka) राज्य का ये ताजा मामला सामने आया है. जिसमें राज्‍य के देवांगेरे जिले में एक 13 साल के बच्‍चे को पहले कोरोना संक्रमण हुआ, इसके बाद उसका मस्तिष्‍क निष्क्रिय हो गया. हालांकि कई दिनों तक अस्पताल में उसका इलाज चला जिसके बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार दिखाई दिया. आपको बता दें कि ये बच्चा कई दिनों तक वेंटीलेटर पर रहा था तब जाकर उसके स्वास्थ लाभ मिला. 

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मीडिया में आईं खबरों की मानें तो यह मामला कर्नाटक राज्य के देवांगेरे जिले का है. देवांगेरे में एक 13 वर्षीय बच्चे को कोरोना वायरस संक्रमण हो गया जिसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया. कोरोना से तो बच्चा ठीक हो गया लेकिन उसका मस्तिष्क ने अचानक से काम करना बंद कर दिया. उस बच्चे की सुधि चली गई. आपको बता दें कि ये देश का दूसरा और कर्नाटक राज्य का पहला मामला बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस 13 वर्षीय बच्‍चे को एक्‍यूट नेक्रोटाइजिंग एनसैफैलोपैथी ऑफ चाइल्‍डहुड (ANEC) हुआ है, और वो पिछले 8 दिनों से अस्‍पताल में भर्ती है.

 देवांगेरे जिले के एसएस इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक एनके कलापनावर से जब मीडिया ने इस बारे में बातचीत की तब उन्होंने बताया कि, जब बच्चे के मस्तिष्क की जांच की गई तो वह निष्क्रिय पाया गया था. इस बच्चे के इलाज के लिए उन्होंने बताया कि इस बच्चे  को तीन दिनों के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया, जिसके बाद उसके स्वास्थ्य में कुछ सुधार दिखाई दिया है. डॉक्टर ने बताया कि स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद ही बच्चे को वेंटीलेटर से हटा लिया गया है.  

उन्होंने मीडिया को आगे बताया कि फिलहाल इस बच्चे को अभी एक सप्ताह तक और इलाज की जरूरत है. उन्होंने बताया कि जब ये बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ्य हो जाएगा तब हम इस बात का पता लगा पाएंगे कि उस बच्चे का मस्तिष्क इस नई डिजीज से कितना प्रभावित हुआ है. उन्होंने आगे बताया कि इस तरह के मरीजों का इलाज काफी महंगा होता है. लगभग 30 किलो तक वजन के बच्चों के लिए जो इंजेक्शन दिया जाता है उसकी कीमत बाजार में 75 हजार से लेकर एक लाख तक है. 

Source : News Nation Bureau

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