चुस्ती, फुर्ती और लचीला शरीर कौन नहीं चाहता है? हर इंसान की ये ख्वाहिश होती है कि उसका बुढ़ापे तक शरीर इन तीनों गुणों से भरपूर रहे. लेकिन, गलत लाइफ स्टाइल और दिनचर्या के कारण ये संभव नहीं हो पाता है. और हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि लोग इसके प्रति जागरुक होने के बजाय उल्टा और लापरवाही बरतते हैं. ऐसे में आज हम आपको 6 ऐसे योगासन बताने जा रहे हैं जिन्हें रोजाना नियम से करके आप धीरे धीरे फ्लेक्सिबल होते जाएंगे और आगे आने वाले वक्त में आप अपनी बॉडी में एक्सट्रीम लेवल पर फ्लेक्सिबिलिटी महसूस करेंगे. यानी कि इन योगासनों को करके आप बेहद ही लचीले और स्फूर्ति से भरपूर हो सकते हैं.
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1. उत्तानासन (Uttanasana)
उत्तानासन मध्यम कठिनाई वाला हठ योग की शैली का आसन है. इसे करने की अवधि 15 से 30 सेकेंड के बीच होनी चाहिए. इसमें किसी दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है. उत्तानासन के अभ्यास से हिप्स, हैमस्ट्रिंग और काव्स पर खिंचाव आता है जबकि घुटने और जांघें मजबूत हो जाती हैं. इसे करने के लिए, योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथ हिप्स पर रख लें. सांस को भीतर खींचते हुए घुटनों को मुलायम बनाएं. कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें. शरीर को संतुलित करने की कोशिश करें. हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं. धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा. अपने हाथों से टखने को पीछे की ओर से पकड़ें. आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर रहेंगे. आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा. सीने की हड्डियों और प्यूबिस के बीच चौड़ा स्पेस रहेगा. जांघों को भीतर की तरफ दबाएं और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें. सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखते रहें. इसी स्थिति में 15-30 सेकेंड तक स्थिर बने रहें. जब आप इस स्थिति को छोड़ना चाहें तो पेट और नीचे के अंगों को सिकोड़ें. सांस को भीतर की ओर खींचें और हाथों को हिप्स पर रखें. धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं.
2. वीरभद्रासन-1 (Virabhadrasana 1)
वीरभद्रासन-1 को बिगिनर लेवल या आसान आसन माना जाता है। इसे विन्यास शैली में किया जाता है. इसे एक टांग पर 20 सेकेंड तक करने की सलाह दी जाती है. इसका दोहराव सिर्फ एक बार ही किया जाता है. वीरभद्रासन-1 के अभ्यास से एड़ी, जांघें, कंधे, पिंडली, हाथ, पीठ आदि मजबूत होते हैं. जबकि, वीरभद्रासन-1 के अभ्यास से टखना, नाभि, ग्रोइन, जांघें, कंधे, फेफड़े, पिंडली, गले की मांसपेशियां, गर्दन पर खिंचाव आता है.
3. भुजंगासन (Bhujangasana)
जंगासन, सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां है. भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहा जाता है. इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है. ये आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है. जबकि सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है. भुजंगासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में मजबूती और लचीलापन बढ़ सकता है. इसके अलावा, पेट के निचले हिस्से में मौजूद सभी अंगों के काम करने की क्षमता बढ़ सकती है.
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4. धनुरासन (Dhanurasana)
धनुरासन, योग विज्ञान में पीठ में स्ट्रेचिंग या खिंचाव पैदा करने के लिए बताए गए प्रमुख तीन आसनों में एक है. इस आसन के अभ्यास से पूरी पीठ को बढ़िया खिंचाव मिलता है. इस आसन के अभ्यास से कमर में लचीलापन बढ़ता है और कमर मजबूत होती है. धनुरासन को धनुष आसन या धनुषासन भी कहा जाता है. इस आसन को करने के दौरान शरीर धनुष के जैसा आकार बनाता है. धनुरासन को हठ योग के 12 मूल आसनों में से एक माना जाता है.
5. नटराजासन (Natarajasana)
नटराजासन मध्यम कठिनाई या इंटरमीडिएट लेवल का आसन है. इसे विन्यास योग की श्रेणी में रखा जाता है. इस आसन को करने की अवधि 15 से 30 सेकेंड की होती है. इसे एक-एक बार दोनों पैरों से करना चाहिए. नटराजासन को करने के दौरान कंधों, जांघों, पेट के निचले हिस्से, पसलियों और लिंग के आसपास की मांसपेशियों पर खिंचाव आता है. जबकि नटराजासन के अभ्यास से टांगें, एड़ी और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है.
6. सेतु बंध सर्वांगासन (Setu Bandha Sarvangasana)
संस्कृत में पुल को सेतु कहा जाता है. सेतु या पुल किसी दुर्गम स्थान या नदी के किनारों को आपस में जोड़ता है. ये आसन भी हमारे मन और शरीर के बीच तालमेल बैठाने में मदद करता है. जैसे पुल का काम ट्रैफिक और दबाव को सहन करना है, ये आसन भी हमारे शरीर से टेंशन को निकालता और कम करने में मदद करता है. सेतु बंध सर्वांगासन शरीर को मजबूती और खिंचाव देने के लिए बेहतरीन आसनों में से एक है. सेतु बंधासन के अभ्यास से न सिर्फ तनाव से निपटने बल्कि रक्त संचार सुधारने में भी मदद मिल सकती है.
HIGHLIGHTS
- नियमित तौर पर वीरभद्रासन-1 करने से शरीर में बढ़ता है लचीलापन
- नटराजासन से टांगें, एड़ी और रीढ़ की हड्डी होती है मजबूत