कोरोना वैक्सीन की डोज को लेकर वैज्ञानिकों का दावा है कि वैक्सीन की एक खुराक भी कोरोना संक्रमण को रोकने में कारगर साबित हो सकती है. येल, वाशिंगटन और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि सीमित आबादी को कोरोना वैक्सीन की दो खुराक देने से बेहतर यह है कि उन्हें एक खुराक वाली वैक्सीन दी जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों को बचाया जाए.
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एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, येल, वाशिंगटन और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया कि एक खुराक के टीके का प्रभाव 75 फ़ीसदी तक रहा है. शोध के मुताबिक, ताउम्र प्रभाव देने वाली वैक्सीन की एक डोज की गई थी जिसका प्रभाव 55 फ़ीसदी था, जबकि 95 प्रतिशत प्रभाव वाले अन्य तरीकों की दो खुराक देने की जरूरत थी. वही 6 माह तक रूप रोगों से प्रतिरक्षा देने वाली एक डोज के टीके का प्रभाव 75 फ़ीसदी तक आंका गया.
वैज्ञानिकों का यह शोध एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है. वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल 90 फ़ीसदी से ज्यादा प्रभाव वाली कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है और उनकी निश्चित अवधि में दो डोज लेनी होंगी, जिसमें लंबा वक्त लगेगा. वैज्ञानिकों ने कहा है कि 75 फ़ीसदी प्रभाविकता वाली एक खुराक लोगों को दी जानी चाहिए.
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वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि इस आधार पर बड़ी आबादी वाले देश अपने यहां लोगों को कम समय में कोरोना वैक्सीन दे सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस कदम से कुछ हद तक लोगों को संक्रमण से प्रतिरक्षा मिल पाएगी. आपको यह भी बता दें कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस की तेजी से बढ़ते मामलों के बीच वैक्सीन की किल्लत को देखते हुए सरकार ने दो टीको को मिलाकर सीमित इस्तेमाल की मंजूरी दी है.
Source : News Nation Bureau