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बचपन से ही इस बीमारी से जूझ रहे थे अभिषेक बच्चन, जानें इसके लक्षण

अभिषेक ने अपने फिल्मी करियर में भी काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं, जब वह केवल 9 साल के थे तब उन्हें एक ख़ास तरह की बीमारी थी. जिसके कारण उनका बोलना, पढ़ना, लिखना मुश्किल हो जाता था.

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Nandini Shukla
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बचपन से ही इस बिमारी से जूझ रहे थे अभिषेक बच्चन( Photo Credit : iwmbuzz,nyooz.com)

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अभिषेक बच्चन उन स्टार्स में से हैं जो कभी-कभी परदे पर आते हैं लेकिन जब भी आते हैं कोई न कोई धमाकेदार मूवी ही देकर जाते हैं. अभिषेक बच्चन स्टार किड में फेमस हैं. जो अपने स्टार पेरेंट्स की पहचान से निकलकर अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुए हैं. अभिषेक ने अपने फिल्मी करियर में भी काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं , आए दिन सोशल मीडिया पर भी वो बहुत समझदारी से यूज़र्स के कमेंट का जवाब भी देते हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि वो बहुत ही शांत तरीके से रील और रियल लाइफ में चीज़ों को हैंडल करते हैं. अभिषेक बच्चन ने एक ऐसा समय बचपन में भी देखा था.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब वह केवल 9 साल के थे तब उन्हें एक ख़ास तरह की बीमारी थी.  जिसके कारण उनका बोलना, पढ़ना, लिखना मुश्किल हो जाता था. इसके बाद उन्हें यूरोपियन स्कूल भेज दिया गया था, ताकि उन्हें एक आरामदायक माहौल में मिल पाए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बात की जानकारी खुद अभिषेक ने एक इंटरव्यू में दी थी. आमिर खान की फिल्म 'तारे जमीं पर' के एक हिस्से में भी अभिषेक बच्चन की इस बीमारी का जिक्र है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभिषेक बच्चन को बचपन में डिस्लेक्सिया (Dyslexia) की बीमारी थी. यह एक ऐसी बीमारी है जिसके अंदर बच्चे को पढ़ने, लिखने और बोलने में मुश्किलें आती हैं. इस लर्निंग डिसऑर्डर के कारण बच्चे अक्षरों को पहचानने और बोलने में समस्या का सामना करते हैं. हालांकि, इस बीमारी से ग्रसित बच्चे दूसरे बच्चों के मुकाबले इंटेलिजेंस में किसी भी तरह से कम नहीं होते हैं. इनके अंदर क्रिएटिव चीज़ें ज्यादा होती हैं लेकिन वह किसी को बोल नहीं पाते. आमतौर पर, यह बीमारी बचपन में ही पकड़ ली जाती है.

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डिस्लेक्सिया के लक्षण 

इस बीमारी में बच्चे बहुत धीमी गति से पढ़ना और लिखना शुरू करते हैं. 
अक्षरों को कम समझते हैं. 
बोलने में आत्म-विश्वास की कमी होती है 
b को d और c को see लिखने की गलती करना
लिखी हुई बात को समझने में परेशानी, है अगर को उन्हें कोई बोल कर कुछ बताये तो वो तुरंत समज लेते हैं. 
पढ़ने, लिखने या बोलने की जगह पेंटिंग, कुकिंग जैसी क्रिएटिव स्किल होना

इस बीमारी का इलाज 

वीडियो या बोलकर पढ़ाई करने की सुविधा देना 
अपनी परेशानी बताने के लिए बच्चे को प्रेरित करें.
उन्हें शब्दों के अक्षरों के बारे में धीरे-धीरे बताते रहे. 
उनकी क्रिएटिव स्किल को बढ़ाएं, इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा.
बच्चों को ध्यान रहे की डाटें नहीं. उन्हें प्यार से बैठा कर समझाएं और उनकी मदद करें.

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Source : News Nation Bureau

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