कोविड के बाद देश को नोरोवायरस से खतरा, स्कूलों के खुलने से बढ़ सकते हैं मामले

दुनिया अभी कोविड महामारी से उबर भी नहीं पाई थी कि एक नए वायरस ने फिर से हमला शुरू कर दिया है. ये वायरस है नोरोवायरस (Norovirus), शुरुआत में नोरोवायरस सिर्फ विदेशों में ही सक्रिय हुआ था लेकिन अब ये देश में भी आ चुका है.

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Ravindra Singh
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नोरो वायरस( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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दुनिया अभी कोविड महामारी से उबर भी नहीं पाई थी कि एक नए वायरस ने फिर से हमला शुरू कर दिया है. ये वायरस है नोरोवायरस (Norovirus), शुरुआत में नोरोवायरस सिर्फ विदेशों में ही सक्रिय हुआ था लेकिन अब ये देश में भी आ चुका है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) के अनुसार, मई महीने के अंत से लेकर 26 जुलाई तक यूके में नोरोवायरस के कुल 154 मामले रजिस्टर्ड हो चुके थे. एक ओर जहां पूरी दुनिया कोरोना महामारी से धीरे-धीरे उबर रही है वहीं इस नोरोवायरस के आगमन से एक बार फिर लोगों में दहशत का माहौल है. 

इंग्लैंड में ये मामले तब सामने आए जब यूके ने कोविड लॉकडाउन प्रतिबंधों में छूट देने का फैसला किया था. PHE ने बताया कि ज्यादातर नोरोवायरस के केस अभी तक शैक्षणिक संस्थानों जैसे नर्सरी और चाइल्डकेयर फैसिलिटीज में देखे गए हैं. हालांकि नोरोवायरस का संक्रमण सिर्फ बच्चों में ही हो ऐसा नहीं है क्योंकि इसका संक्रमण सभी आयु के लोगों में देखा गया है.

देश के पंजाब, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में या तो शैक्षणिक संस्थान खासतौर पर स्कूल खुल चुके हैं या क्रमबद्ध तरीके से खोले जाने हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल बच्चों की सुरक्षा को लेकर है, हालांकि आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से यह कहा गया है कि बच्चों के अंदर ऐसे रिसेप्टर बहुत कम है, जिससे कोरोना का संक्रमण तेजी से शरीर में फैल सकता है। बच्चे संक्रमित अगर हो भी जाए तो महामारी का असर बच्चों पर वयस्क लोगों की तुलना में कम कम होता है‌, लेकिन यूरोप के जिन देशों में खास तौर पर ब्रिटेन कोविड-19 की लहर के बाद शैक्षणिक संस्थान खास तौर पर छोटे बच्चों के स्कूल खुले हैं वहां एक नया वायरस 3 गुना गति से फैला है, जिसका नाम है नोरोवायरस, जरा समझने की कोशिश करते हैं कि यह वायरस आखिर बच्चों पर कितना असर डालता है और कोरोना और नोरोवायरस के बीच का रिश्ता क्या है?

जानिए नोरोवायरस के प्रमुख लक्षण

  • यूरोपीयन यूनियन मेडिसन एजेंसी और पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड में कोरोना की लहर के बाद नोरोवायरस फैलने की की है पुष्टि.
  • बच्चों में लुमिनिटी की वजह से नोरोवायरस का ज्यादा पड़ता है प्रभाव.
  • इस वायरस की चपेट में आने के 48 घंटों के अंदर पेट में दर्द उल्टी और डायरिया जैसी समस्या पैदा होती है.
  • कोरोना की तरह ड्रॉपलेट और सरफेस से फैलता है नोरोवायरस का संक्रमण.
  • ठीक होने के बाद भी कई दिनों तक संक्रमित बच्चा स्कूल में संक्रमण फैला सकता है.
  • विशेषज्ञों की माने तो स्कूल की टॉयलेट के जरिए नोरोवायरस फैलने की अधिक संभावना है.

नोरोवायरस कोई नई बीमारी नहीं है, यह पहले भी होती थी, लेकिन कोरोना के बाद खासतौर पर बच्चों में इम्यूनिटी पावर कम होने की वजह से यह तेज गति से फैलती हुई नजर आई, हालांकि भारत में इसके बहुत कम केस मिले हैं, लेकिन स्कूल खुलने के बाद इस वायरस की फैलने की आशंका है. नोरोवायरस अधिकांश मामलों में प्राणघातक कम होता है.

हालांकि इस इंफेक्शन को पता करने के लिए पोटेबल टेस्टिंग किट अवेलेबल नहीं है, बल्कि स्टूल के सैंपल से इन्फेक्शन की पुष्टि होती है, लेकिन बच्चे को वायरस की चपेट में आने के बाद कुछ मामलों में अस्पताल तक में भर्ती होना पड़ता है ,फिर भी भारत में इसके मामले कम आए हैं, लिहाजा एजुकेशन एक्सपर्ट मानते हैं कि जब नोबेल कोरोनावायरस के संक्रमण के बीच स्कूल खोले जा सकते हैं तो नोरोवायरस की आशंका से स्कूल नहीं खोलना समझदारी नहीं.

नोरोवायरस कैसे फैलता है?
नोरोवायरस से दूषित खाना खाने या तरल पदार्थ पीने से (उदाहरण के लिए, दूषित पानी में उगाए गए भोजन) यह फैलता है. इसके अलावा नोरोवायरस से दूषित किसी वस्तु या सतह को छूने और फिर अपने मुंह को छूने से, नोरोवायरस से संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में रहने और उनसे भोजन या बर्तन जैसी चीजें साझा करने से या किसी कुएं या पूल से दूषित पानी पीना जो ठीक से साफ नहीं किया गया है, से यह वायरस तेजी से फैलता है.

नोरोवायरस का पता कैसे किया जाता है?
एक डॉक्टर आमतौर पर किसी व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर नोरोवायरस की पहचान कर सकता है. मल के नमूने में नोरोवायरस का भी पता लगाया जा सकता है. यदि आपके शरीर में कोई अंदरूनी समस्या है या इम्यून सिस्टम कमजोर है, तो डॉक्टर मल परीक्षण कराने को कह सकता है.

क्या नोरोवायरस का इलाज संभव है?
अधिकांश लोग बिना किसी उपचार के ही नोरोवायरस से ठीक हो जाते हैं, लेकिन बड़े वयस्क, छोटे बच्चे और ऐसे लोग जो किसी स्वास्थ्य समस्या से गुजर रहे हैं, वे निर्जलीकरण (Dehydration) के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं और इसी वजह से उन्हें चिकित्सा उपचार (Medical Treatment) या यहां तक ​​कि अस्पताल में रहने की जरूरत भी पड़ सकती है.

नोरोवायरस से संक्रमित व्यक्ति को ठीक होने में कितना समय लगता है?
नोरोवायरस आमतौर पर एक से तीन दिनों तक रहता है. हालांकि वायरस के लक्षण आमतौर पर केवल कुछ दिनों तक ही रहते हैं, लेकिन लोगों पर उसका असर अधिक समय तक रहता है. अगर आप पहले से ही किसी अंदरूनी स्वास्थ्य समस्या से गुजर रहे हैं, तो संक्रमण से उबरने के बाद वे अपने मल में वायरस को हफ्तों या महीनों तक बहाते रह सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि नोरोवायरस कई तरह के होते हैं, आप इससे कई बार बीमार हो सकते हैं. कुछ लोग नोरोवायरस के कुछ प्रकार के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) विकसित कर सकते हैं, लेकिन यह साफ नहीं है कि उनकी प्रतिरक्षा कितने समय तक चलती है.

Source : Rahul Dabas

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