बुधवार को लगातार तीसरे दिन देश में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामल 3 लाख से नीचे रहे. इस लिहाज से कह सकते हैं कि कोविड-19 संक्रमण में अब कमी देखने को मिल रही है. इसके साथ ही कोरोना मरीजों के लिए एम्स और आईसीएमआर ने नई गाइडलाइन भी जारी कर दी हैं. इसके तहत कोरोना मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी पर रोक लगा दी गई है. इस बीच दिल्ली स्थित सर गंगाराम हॉस्पिटल के चेयरपर्सन डॉ. डीएस राणा ने कहा है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन को भी जल्द ही कोविड-19 के इलाज से हटाने पर विचार किया जा रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मरीजों के इलाज में इसकी प्रभावशीलता का कोई सबूत नहीं है.
रेमडेसिविर की प्रभाविकता का कोई सबूत नहीं
डॉ. राणा का कहना है कि अगर कोरोना के इलाज में दी जाने वाली दवाओं की बात करें तो अभी तक रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर ऐसा सबूत नहीं मिला है कि वह इलाज में कारगर है. जिन दवाओं में प्रभावीकरण नहीं है, उन्हें बंद करना होगा. उनका कहना है, 'सभी प्रायोगिक दवाएं, प्लाज्मा थेरेपी (जो अब बंद हो गई है) या रेमेडिसविर, इन सभी को जल्द ही इलाज के इस्तेमाल से हटाया जा सकता है क्योंकि इसके प्रभावीकरण को लेकर कोई सबूत नहीं हैं. अभी केवल तीन दवाएं काम कर रही हैं.'
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प्लाज्मा तेरेपी सबूतों के आधार पर की गई बंद
यह कदम तब आया है जब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की सलाह के अनुसार कोविड-19 के लिए इलाज के प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल को हटा दिया गया है. डॉ राणा ने कहा, 'प्लाज्मा थेरेपी में हम किसी ऐसे व्यक्ति को प्री-फॉरवर्ड एंटीबॉडी देते हैं, जो पहले संक्रमित हो चुका होता है, ताकि एंटीबॉडी वायरस से लड़ सके. आमतौर पर एंटीबॉडी तब बनते हैं जब कोरोना वायरस हमला करता है.' उन्होंने कहा, 'हमने पिछले एक साल में देखा है कि प्लाज्मा देने से मरीज और अन्य लोगों की स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ता. साथ ही यह आसानी से उपलब्ध नहीं होता है. प्लाज्मा थेरेपी वैज्ञानिक आधार पर शुरू की गई थी और सबूतों के आधार पर बंद कर दी गई है.'
HIGHLIGHTS
- रेमडेसिविर इंजेक्शन की प्रभाविकता का कोई सबूत नहीं
- प्लाज्मा थेरेपी की तरह इसे भी हटाया जा सकता है
- सर गंगाराम अस्पताल के डॉ राणा ने किया अनुमोदन