कोविड से पैदा हुए हेल्थ क्राइसिस से अभी देश उबर नही पाया है और माननीयों को जनता के बदले खुद की पड़ी है. भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक आम आदमी की तरह वैक्सीन लगवाने के लिए एम्स (AIIMS) पहुंचते हो. देश की राष्ट्रपति भले ही राष्ट्रपति भवन से 20 किलोमीटर दूर दिल्ली छावनी के अस्पताल जाकर इलाज कराते हैं. लेकिन भारत के माननीय सांसद चाहते हैं कि उनका हेल्थ चेकअप एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर पार्लियामेंट एनेक्सी पहुंचकर करें. इसके लिए बाकायदा 15 मार्च से लेकर 19 मार्च के बीच और उसके बाद 22 मार्च से लेकर 26 मार्च तक हेल्थ कैंप लगवाया जाएगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि एम्स के अंदर पहले ही डॉक्टरों की कमी है, फिर ऐसे में डॉक्टरों का संसद तक जाना कितना जायज है.
एम्स के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉक्टर एस ए हुसैन के पास भी भारत सरकार का या यूं कहें माननीय सांसदों के हेल्थ चेकअप का फरमान आया है, लेकिन डॉक्टर साहब इसके खिलाफ है. उनका कहना है कि पहले ही हमारे डिपार्टमेंट और अस्पताल में मरीजों को सिर्फ डॉक्टर से मिलने के लिए कई महीनों का इंतजार करना पड़ता है. डॉक्टर एस ए हुसैन कहते हैं कि दाखिले और ऑपरेशन की बात तो भूल जाइए, 35% डॉक्टरों की कमी है, फिर अगर संसद जाकर डॉक्टर अपनी सेवाएं देंगे तो आम जनता की सेवा कौन करेगा ?
बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी फरमान के मुताबिक दिल्ली स्थित एम्स को संसद भवन परिसर में सांसदों और उनके परिजनों के लिये हेल्थ कैम्प लगाना है. कार्डियोलॉजी, ऑर्थोपेडिक, गैस्टो, न्यूरोलॉजी समेत कुल 10 विभागों की डॉक्टरों को संसद एनेक्सी में वर्कशॉप के लिए उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है. 15 मार्च से 19 मार्च और 22 मार्च से 26 मार्च के बीच लगने वाले इस हेल्थ कैम्प में कार्डियो, न्यूरो, ऑर्थो, गैस्ट्रो, नेफ्रो, पल्मोनरी मेडिसिन, इंडोक्राइन, गायने सहित सभी प्रमुख विभागों के हेल्थ अवेयरनेस कैम्प लगेंगे.
स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी फरमान के मुताबिक इस कैम्प में सभी विभागों से एक स्पेशलिस्ट और एक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर को अपनी सेवाएं देनी होगी. यहा सांसदों और उनके परिवार वालो के लिए सभी जरूरी जांच और चिकित्सकीय सहायता मुहैया करायी जायेगी.
Source : Avinash Prabhakar