Antibiotic Medicine : दुनिया में इस वक्त एंटीबायोटिक के अत्याधिक उपयोग से 15 लाख लोगों की हर साल मौत हो रही है. मृत्यु का यह आंकड़ा 2050 तक एक करोड़ प्रतिवर्ष पहुंच जाएगा. इनमें से एशिया और अफ्रीका ज्ञानी भारत जैसे देशों में 90 फीसदी मृत्यु होगी. एक्सपर्ट डॉक्टर की मानें तो 90 प्रतिशत बीमारी बैक्टीरिया से नहीं बल्कि वायरस से होती है और वायरल बीमारियों में एंटी बैक्टीरिया का इस्तेमाल करना बिल्कुल भी सही नहीं है. (Antibiotic Medicine)
सामान्य बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम, गला दर्द जो वायरल की वजह से होता है, उसमें एंटी बैक्टीरिया का इस्तेमाल करने से कोई फायदा नहीं होता, बल्कि इसकी वजह से सुपरबग जैसी बीमारी हो सकती है. वायरस का निर्माण आरएसए या डीएनए से होता है. अगर इसके खिलाफ हम एंटीबैक्टीरिया का इस्तेमाल करेंगे तो एक ऐसी स्थिति आ जाएगी कि हमारा शरीर बैक्टीरिया से इम्यून हो जाएगा और उसके बाद ऐसी कंडीशन बनेगी जिसमें मल्टीड्रग बेअसर भी हो सकता है, जिसमें किसी दवाई का असर नहीं होता. जो ना सिर्फ एक मरीज बल्कि पूरी मानवता के लिए बेहद खतरनाक है. (Antibiotic Medicine)
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कानूनी रूप से हमें ऐसे कड़े कानून बनाने चाहिए कि बिना डॉक्टर की सलाह या जांच के दवाइयों की दुकान में एंटीबैक्टीरिया दवाई नहीं मिल पाए. एक एंटीबायोटिक दवाई (Antibiotic Medicine) बनाने में 15 से लेकर 25 वर्ष का समय लगता है और 5 साल में पूरी की पूरी मानवता इससे इम्यून हो जाती है. आने वाले समय में जब हम अधिक एंटीबायोटिक नहीं बना पाएंगे तब लाखों ही नहीं करोड़ों लोगों की मौत हो सकती है. हालांकि, एचआईवी और टीबी जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक दवाई देना जरूरी हो जाता है, लेकिन यह सिर्फ 10 प्रतिशत बीमारियों के लिए ही जरूरी है. (Antibiotic Medicine)
Source : News Nation Bureau