एंटीबायोटिक अलग-अलग प्रकार के बैक्टीरिया इंफेक्शन से सुरक्षा और उनसे होने वाले रोगों को दूर करने में इस्तेमाल किए जाते हैं। 'माइक्रकेमिकल जर्नल' में प्रकाशित हुए शोध में चौका देने वाला खुलासा हुआ है। इसमें चेताया गया है कि एंटीबायोटिक स्वस्थ वातावरण के लिए जरूरी रोगाणुओं (Germs) को नुकसान पहुंचा सकते हैं। शोध के अनुसार, यह महत्वपूर्ण रूप से दुनियाभर के लोगों के जीवन पर असर डाल सकते हैं। जब लोग एंटीबायोटिक दवाइयां लेते हैं, तो शरीर में दवाओं के केवल एक हिस्से का चयापचय होता है, बाकी बाहर निकल जाता है।
अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र (Waste Water Treatment Plant) को एंटीबायोटिक को पूरी तरह से हटाने के लिए डिजाइन नहीं किए जाते हैं, इसलिए इनमें से कई यौगिक प्राकृतिक प्रणालियों तक पहुंच जाते हैं जहां वे 'अच्छे' रोगाणुओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
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शोधार्थियों ने कहा कि यह चिंता वाली बात है, क्योंकि पर्यावरण में पाए जाने वाले कई सूक्ष्मजीवों (Micro-organisms) की प्रजातियां लाभकारी होती हैं, जो पोषक तत्वों के प्राकृतिक चक्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इटली में नेशनल रिसर्च काउंसिल के वॉटर रिसर्च इंस्टीट्यूट की माइक्रोबॉयल इकोलॉजिस्ट पाओला ग्रेनिनी ने कहा, 'एंटीबायोटिक दवाओं की मात्रा बहुत ही कम है - सामान्य रूप से प्राकृतिक वातावरण में पाए जाने वाले अणु प्रति लीटर में प्रति नैनोग्राम होते हैं।'
उन्होंने कहा, 'एंटीबायोटिक्स और दूसरी दवाएं भी असर डाल सकती हैं, जिसके फलस्वरूप पर्यावरणीय दुष्प्रभाव सामने आ सकते हैं।'
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Source : IANS