इमोशनल रूप से कमजोर और चिंता, अवसाद (डिप्रेशन) से पीड़ित लोगों में स्मार्टफोन की लत पड़ने की संभावना ज्यादा होती है। शोध में पाया गया है कि इमोशनल (भावनात्मक) रूप से कम स्थिर होना स्मार्टफोन व्यवहार से जुड़ा हुआ है।
ऐसे लोग जो अपने मानसिक स्वास्थ्य से संघर्ष करते हैं, उनमें अपने स्मार्टफोन के इस्तेमाल की संभावना ज्यादा होती है। वह फोन का इस्तेमाल चिकित्सा पद्धति (मेडिकल थेरेपी) के रूप में करते हैं। इसी तरह कम ईमानदार व्यक्ति के फोन के इस्तेमाल करने की लत ज्यादा होने की संभावना होती है।
निष्कर्षो से पता चलता है कि चिंता का स्तर बढ़ने से स्मार्टफोन का इस्तेमाल भी बढ़ता है।
ब्रिटेन के डर्बी विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रवक्ता जहीर हुसैन ने एक बयान में कहा, 'समस्या से जूझ रहे लोगों में स्मार्टफोन का इस्तेमाल पहले के विचार की तुलना में ज्यादा जटिल है और हमारे शोध में स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक कारकों के परस्पर प्रभाव को उजागर किया गया है।'
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Source : IANS