Arcov वैक्सीन Omicron के खिलाफ बूस्टर डोज के रूप में कारगर

एमआरएनए वैक्सीन, दरअसल शरीर में जाते ही कोशिकाओं को एस प्रोटीन बनाने का निर्देश देती है. एस प्रोटीन कोरोना वायरस के उपरी सतह पर पाया जाता है.

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Nihar Saxena
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Arkov Vaccine

वैक्सीन का तीसरा और आखिरी क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक चीन की मैसेंजर आरएनए (एमआरएनए) आधारित कोरोना (Corona) वैक्सीन 'आरकोव' ओमीक्रॉन के खिलाफ बूस्टर डोज के रूप में कारगर साबित हुई है. आरकोव एमआरएनए आधारित पहली ऐसी कोरोना वैक्सीन है, जिसके क्लीनिकल परीक्षण को चीन ने मंजूरी दी है. यह वैक्सीन एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंस शुझू एबोजेन बायोसाइंसेज और वैलवक्स बायोटेक्नोलॉजी ने मिलकर विकसित की है. यह क्लीनिकल परीक्षण के तीसरे और अंतिम चरण में है. साऊथ चाइना मॉर्निग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक 'आरकोव' के दो डोज ओमीक्रॉन (Omicron) स्ट्रेन को खत्म करने में उतने कारगर साबित नहीं हुए हैं, जितने कारगर ये अधिक म्यूटेशन न करने वाले स्ट्रेन से लड़ने में साबित हुए हैं.

शरीर में बनाती है एस प्रोटीन
एमआरएनए के आधार पर ही फाइजर, बायोएनटेक और मॉडर्ना ने भी कोरोना वैक्सीन विकसित की है. एमआरएनए वैक्सीन, दरअसल शरीर में जाते ही कोशिकाओं को एस प्रोटीन बनाने का निर्देश देती है. एस प्रोटीन कोरोना वायरस के उपरी सतह पर पाया जाता है. अब जैसे ही शरीर में एस प्रोटीन बनता है, तो उससे लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडीज बनने लगती है. यही एंटीबॉडीज बाद में व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने पर वायरस से लड़ते हैं. एमआरएनए एस प्रोटीन को बनाने का निर्देश देने के बाद नष्ट हो जाता है और यह कोशिका के केंद्र में मौजूद डीएनए तक नहीं पहुंचता है.

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बूस्टर डोज का परीक्षण रहा सफल
जर्नल सेल रिसर्च में प्रकाशित रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने वैक्सीन लेने वाले 11 लोगों के सीरम के नमूनों का विश्लेषण किया, जिसमें से आठ लोगों के नमूनों में ओमीक्रॉन के खिलाफ कम गतिविधि दिखी. शोधकर्ताओं ने बूस्टर डोज का परीक्षण चूहों पर किया. इन चूहों को पहले भी 'आरकोव' के ही दो डोज दिये गये थे. बूस्टर डोज के लगने के बाद देखा गया कि चूहों में कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन और एक वाइल्ड स्ट्रेन के खिलाफ एंटीबॉडीज बनने लगी. रिपोर्ट में बूस्टर डोज के रूप में आरकोव के इस्तेमाल के फायदे के बारे में बताया गया है.

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चीन में वेक्टर वैक्सीन ही हो रही इस्तेमाल
गौरतलब है कि चीन ने अब तक एमआरएन आधारित किसी कोरोना वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है. वह अब तक पारंपरिक वेक्टर वैक्सीन यानी निष्क्रिय वायरस आधारित वैक्सीन का ही इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन कोरोना के डेल्टा वैरिएंट और ओमीक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ ये वैक्सीन उतने कारगर नहीं साबित हुये. चीन में अब तक विदेश में विकसित किसी भी कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी नहीं दी गयी है. गत साल जुलाई में पहली बार ऐसा लग रहा था कि फाइजर और बायोनटेक की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल जायेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. शंघाई की दवा कंपनी फोसन फार्मास्यूटिकल फाइजर की कोरोना वैक्सीन को चीन में उतारने वाली थी.

HIGHLIGHTS

  • आरकोव एमआरएनए आधारित पहली कोरोना वैक्सीन होगी
  • चीन अभी तक पारंपरिक वेक्टर वैक्सीन का कर रहा इस्तेमाल
  • परीक्षण में बूस्टर डोज के बाद तेजी से बनने लगी एंटीबॉडी
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