दही कई लोगों का फेवरेट हो सकता है. खास कर गर्मियों में लोग दही का उपयोग अधिक करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि आयुर्वेद के मुताबिक दही की तासीर ठंडी नहीं बल्कि गर्म होती है. दही को लेकर ऐसे कई तथ्य हैं जो आपको हैरान कर सकते हैं. साथ ही, दही को खाने से पहले इसके बारें में कुछ तथ्यों को लेकर सजग रहना चाहिए ताकि, आपको सेहत से जुड़ी समस्याओं का समना न करना पड़े. आयुर्वेद के अनुसार दही स्वाद में खट्टा, प्रकृति में गर्म, पचने में भारी होता है (पाचन में अधिक समय लगता है).
आयुर्वेद के अनुसार दही के गुण:
यह चर्बी बढ़ाता है (वजन बढ़ाने के लिए अच्छा)
शक्ति में सुधार करता है
कफ और पित्त को बढ़ाता है (वात कम करता है)
अग्नि (पाचन शक्ति) में सुधार करता है
दही के बारे में रोचक आयुर्वेदिक तथ्य:
- दही को गरम नहीं करना चाहिए. गर्म करने पर यह अपने गुणों को खो देता है.
- मोटापा, कफ विकार, रक्तस्राव विकार और सूजन की स्थिति वाले लोगों में दही से बचना चाहिए है.
-रात के समय दही का सेवन कभी नहीं करना चाहिए.
- दही का सेवन रोजाना नहीं करना चाहिए. नियमित रूप से सेवन किया जा सकने वाला एकमात्र बदलाव छाछ है जिसमें सेंधा नमक, काली मिर्च और जीरा जैसे मसाले मिलाए गए हैं.
- अपने दही को फलों के साथ न मिलाएं क्योंकि यह एक चैनल अवरोधक असंगत भोजन है. लंबे समय तक सेवन से चयापचय संबंधी समस्याएं और एलर्जी हो सकती है.
- दही मांस और मछली के साथ असंगत है. चिकन, मटन, या मछली जैसे मीट के साथ पकाए गए दही का कोई भी संयोजन शरीर में विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करेगा.
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ के मुताबिक, इस लेख में उपभोग करने के तरीके से अधिक बात की है कि कैसे उपभोग नहीं करना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकतर लोग बिना सोचे समझे, बड़ी मात्रा में और विशेष रूप से रात में दही खाते हैं, जो कि आपके सेहत को नुकसान पहुंचा सकता हैं. यदि आप दही खाना चाहते हैं, तो इसे कभी-कभार, दोपहर के समय और कम मात्रा में लें. वहीं, जिन लोगों को दही खाना मना है या स्वास्थ्य कारणों से दही नहीं खा सकते उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प छाछ है.