Ayurvedic Tips For Acidity: एसिडिटी आजकल एक कॉमन समस्या हो गई है. यह समस्या पूरी तरह से खान-पान से जुड़ी हुई है. बाहर का खाना, जंक फूड, तली हुई चीजें या ऐसा कुछ जिसके कारण आपको परेशानी होती हो, खाने से गैस की समस्या हो जाती है. एसिडिटी खास तौर पर वयस्क लोगों को होती है. जैसे पित्त वयस्क जीवन पर हावी होता है, उसी तरह कफ और वात दोष क्रमशः बचपन और बुढ़ापे पर हावी होता है. एसिडिटी होने के कारण सीने में जलन, पेट में बेचैनी, सीने में दर्द से लेकर और भी कई समस्याओं को जन्म देता है.
कई बार लोग अपनी भूख, मात्रा और भोजन की गुणवत्ता पर विचार किए बिना जो भी काने की चीजें सामने आती हैं उसे खा लेते हैं. वहीं, कई बार स्वाद के कारण ऐसी चीजों का सेवन कर लेते हैं जो पेट की सेहत के लिए ठीक नहीं होती है. साथ ही, तनावपूर्ण जीवनशैली और व्यायाम की कमी एसिडिटी को और भी बढ़ा देती है. इसलिए, अब न केवल वयस्क और पित्त प्रधान व्यक्ति बल्कि बच्चे और किशोर भी एसिडिटी से पीड़ित होते हैं. एसिडिटी को ठीक करने के लिए अपने खान-पान से लेकर जीवनशैली का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है.
वहीं, एसिडिटी के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय भी हैं जो इससे राहत देने में मदद करेंगे. 12 सप्ताह तक लगातार 3 आयुर्वेदिक उपचारों को आजमाने से आपके मन और शरीर में अतिरिक्त पित्त (रिफ्लक्स और सीने में जलन के लिए जिम्मेदार) को कम करने में मदद मिलेगी और आपकी एसिडिटी की समस्या को शांत करने में मदद मिलेगी. तो आइए जानते हैं इन 3 आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में:
धनिया की चाय
बनाने की विधि: 1 गिलास पानी (300 मिली) लें, उसमें 1 बड़ा चम्मच धनिया के बीज, 5 पुदीने के पत्ते और 15 करी पत्ते डालें और इसे 5 मिनट तक उबालें, फिर सुबह इसे छानकर पी लें.
सौंफ के बीज
प्रत्येक भोजन के बाद 1 चम्मच सौंफ का सेवन करें.
गुलाब की चाय
विधि: 1 कप पानी (150 मिली) लें और इसे 3 मिनट तक उबालें, फिर इसमें कुछ सूखी गुलाब की पंखुड़ियां (1 चम्मच) डालें और 5 मिनट तक प्रतीक्षा करें, फिर रात को सोते समय गुलाब की चाय को छानकर पिएं (30 मिनट) सोने से पहले).
उच्च पित्त/गर्मी के मुद्दों (एसिडिटी, माइग्रेन, जीईआरडी, आदि) वाले लोगों के लिए यह उपचार बेहद फायदेमंद हो सकता है. यदि आप पुराने गैस की समस्या, माइग्रेन, आंतों या हार्मोनल मुद्दों से पीड़ित है और इसे आयुर्वेद के इन उपचारों को आजमा कर इसे जड़ से ठीक कर सकते हैं. हालांकि, इन उपचारों को आजमाने से पहले आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.