छोटे बच्चों को डायपर लगाने से बड़ी दिक्कतें आती है. अब, डायपर पहनाना भी जरूरी है क्योंकि वो इतने चोटे होते है कि बोलकर बता नहीं पाते कि उन्हें टॉयलेट आ रहा है. इसलिए, पेरेंट्स उन्हें डायपर लगाते है. वैसे तो डायपर से रैशेज (home remedies for baby rashes) हो जाना कॉमन प्रॉब्लम है. उनकी स्किन बहुत सैंसिटिव होती है. इसी वजह से उनकी स्किन का ध्यान रखना (baby rashes treatment) और जरूरी होता है.
इन्हीं रैशेज से इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. डायपर पहनने से जो रैशेज होते है उससे उनकी पर जलन होने लगती है. इससे बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन भी हो सकता है. अगर बच्चे घंटों तक गीले डायपर पहनते है तो इस वजह से भी उनके प्राइवेट पार्ट्स पर गुलाबी चकत्ते पड़ जात है. इस प्रॉब्लम पर टाइम रहता ध्यान देना जरूरी होता है. वरना इस वजह से उन्हें आगे चलकर बड़ी दिक्कतें होने लगती है. तो चलिए कुछ घरेलू नुस्खों (baby rash home remedies) की मदद लेकर इन्हें ठीक कर लें.
दही, यीस्ट और माइक्रोबियल इंफेक्शन को ठीक करने में काफी मदद करते है. अपने बेबी के खाने में दही जरूर शामिल करें. आप चाहें तो रैशेज (baby skin rashes treatment) वाली जगह पर दही लगा भी सकते है.
इसके लिए बच्चे के कपड़ों को अलग से डिटर्जेंट (effective home remedies for baby rashes) से धोएं. जिसमें ऐसे कैमिकल्स न हो जो स्किन पर खुजली को बढ़ा दे.
अक्सर गीले डायपर की वजह से भी बेबी को रैशेज हो जाते है. इसलिए, जितना ज्यादा हो सके इस बात पर ध्यान दें कि बेबी का डायपर गीला होते ही उसे बदल दें.
बेबी के डायपर की फिटिंग बहुत जरूरी है. बेबी को डायपर पहनाते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि डायपर ना ही ज्यादा टाइट हो और ना ज्यादा ढीला हो. ज्यादा टाइट डायपर उसके लिए ठीक नहीं है और ज्यादा ढीले डायपर से लीक की प्रॉब्लम बढ़ सकती है.
इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को ज्यादा सॉलिड चीजें नहीं खिलानी चाहिए.