आपने अक्सर लोगों से सुना होगा कि दिन की झपकी लिए बिना उन्हें आराम नहीं मिलता. इस कैटेगरी में ज्यादातर घर पर रहने वाली महिलाएं, पुरुष और बच्चे या बुजुर्ग आते हैं. इस झपकी की टाइमिंग हर व्यक्ति के हिसाब से अलग हो सकती है लेकिन अमूमन झपकी को आधा घण्टे से 2 घण्टे का मान लिया जाता है. कई लोगों को तो इससे इतना रिलीफ और एनर्जी मिलती है कि वो किसी दिन अगर इस झपकी को मिस कर दें तो बीमार महसूस करने लगते हैं. कुछ लोगों के लिए यह सुबह जल्दी उठने पर आधी अधूरी नींद को पूरा करने का जरिया होती है.
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दरअसल, एक बैलेंस्ड नींद शरीर ही नहीं पूरे दिमाग के लिए जरूरी होती है. हर व्यक्ति के लिए नींद की जरूरत अलग-अलग हो सकती है, पर आमतौर पर 7-8 घण्टे की नींद को अच्छा माना जाता है. लेकिन कई बार नौकरी, परिवार या अन्य जिम्मेदारियों के चलते लोगों को सुबह बहुत जल्दी उठना पड़ता है. ऐसे में दोपहर की एक झपकी उनके लिए जरूरी हो जाती है. काम के बढ़ते समय, भागदौड़ भरी जिंदगी और स्ट्रेस से भरपूर माहौल में दिन की झपकी कई बार तरोताजा करने का काम करती है. इसलिए आज हम आपको दोपहर में सोने के कुछ बेहद ही जबरदस्त फायदे बताने जा रहे हैं.
दोपहर में नींद की फायदे
1. केवल शरीर ही नहीं, छोटी सी ये झपकी दिमाग को भी आराम पहुंचाती है. दिन की करीब 1 घण्टे की झपकी पूरे शरीर की मसल्स को रिलैक्स होने का मौका देती है. यही कारण है कि इस झपकी के साथ शरीर और दिमाग को आराम मिल जाता है और उठकर आप तरोताजा महसूस करते हैं.
2. कई बार ऐसा होता है कि सफ़र के बाद या रात को किसी पार्टी से लेट घर आने के बाद आपकी नींद उड़ जाती है या ठीक से नींद नहीं आती है. ऐसी सिचुएशन में दोपहर की झपकी आपकी थकान को मिटाने का काम कर सकती है. जिन लोगों को दिन में झपकी लेने की आदत होती है, खासकर घरेलू महिलाएं, उनके पीछे एक बड़ी वजह होती है सुबह जल्दी उठकर घर का काम सम्भालना और देर रात तक काम में लगे रहना. इसी वजह से जब वे दिन की झपकी के बाद उठती हैं तो थकान दूर हो चुकी होती है.
3. जिन लोगों का रूटीन एकदम घड़ी के हिसाब से चलता है. जैसे कि सुबह जल्दी उठकर काम पर जाने वाले लोग या सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाने वाले बच्चे, उनमें दोपहर की झपकी अलर्टनेस बढ़ाने का काम भी करती है.
4. ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें भरपूर नींद न मिलने पर चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग, बिहेवियर चेंज जैसी समस्याएं होती हैं. अगर वे लोग दिन में झपकी ले लें तो उनका मूड अच्छा हो जाता है. यह ठीक वैसा ही है जैसे कई लोगों में चाय न मिलने के कारण होने वाला सिरदर्द होता है.
5. नींद का यह छोटा सा टुकड़ा याददाश्त पर भी अच्छा असर डालता है. इसके अलावा क्विक डिसिशन मेकिंग कैपेसिटी (quick decision making capacity) और हर काम को करने की क्षमता पर भी यह अच्छा असर डालती है. इसलिए, दोपहर की झपकी का असर बच्चों पर सबसे ज्यादा अच्छा देखने को मिलता है. खासकर वे बच्चे जो सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाते हैं.
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दोपहर की नींद किस किस के लिए जरूरी
हमारी देसी पद्धति में दिन की नींद को हर व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं माना जाता. इसलिए पुराने वैद्य कहा करते थे कि दिन में सिर्फ बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं या बीमार लोगों को ही सोना या आराम करना चाहिए. लेकिन अब लाइफस्टाइल में आये चेंजिस ने दिन की इस झपकी को कई लोगों के लिए जरूरी बना डाला है. तो अगर आपको झपकी लेना ही हो तो इन बातों का ख्याल जरूर रखें-
1. आधा-एक घण्टे से ज्यादा देर की झपकी न लें. इससे ज्यादा देर सोने से आपके शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक पर गलत असर पड़ेगा. इसलिए कोशिश करें कि रात को ही भरपूर नींद लें.
2. दोपहर में 3 बजे के बाद न सोएं. यह बात बच्चों पर भी लागू होती है. अगर आपका बच्चा स्कूल से 3 बजे के बाद घर लौटता है तो उसे रात में जल्दी सोने की आदत डालें, बजाय दिन में सुलाने के. दिन में 3 बजे के बाद सोने से आपकी रात की नींद में रुकावट आ सकती है.
3. जब भी झपकी लें, आपके आस पास का माहौल शांत और आरामदायक होना चाहिए. ताकि आप एकदम सुकून के साथ झपकी पूरी कर सकें. इससे आपके दिमाग को पूरा आराम मिलेगा और उठने पर आप तरोताजा महसूस करेंगे.
Source : News Nation Bureau