बदलते मौसम में अक्सर सबसे ज्यादा डर बीमार होने का लगा रहता है. अब, बच्चे हो या बड़े एक बार सर्दी के मौसम में बीमार पड़े तो ठीक होने में बड़ी देर लगती है. भई अब बड़े लोग तो फिर भी कई तरह के जतन कर-करके ठीक हो सकते है. लेकिन, छोटे-छोटे बच्चों का खास ख्याल रखना पड़ता है क्योंकि वो बोलकर नहीं बता सकते कि उन्हें क्या दिक्कत हो रही है. इसलिए पेरेंट्स को खुद ही ज्यादा गौर करने की जरूरत होती है. अब, ऐसे में सबसे पहले तो आपको बता दें कि 6 साल तक की उम्र वाले बच्चें इस मौसम को पहली बार फेस कर रहे होते हैं तो उनका ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. अक्सर पेरेंट्स ये सोचकर बच्चों को ज्यादा कपड़े पहना देते हैं कि बहुत ठंड हैं. कई पेरेंट्स कपड़ों की सिंगल लेयर पहना देते हैं. लेकिन, ये दोनों ही सिचुएशन्स गलत है. ये दोनों ही सिचुएशन बच्चे की हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकती है. तो, चलिए आपको बताते हैं कि बच्चे को इस मौसम में सुरक्षित कैसे रखा जा सकता है.
सर्दियों में अक्सर ठंडी हवा, तापमान का चढ़ना और उतरना, दिन की तेज धूप और अचानक से होने वाली बारिश जैसी प्रॉब्लम्स बनी रहती हैं. सर्दियों में कभी भी मौसम एक जैसा नहीं रहता. ऐसे में आजकल न्यूट्रल फैमिली का चलन जिसके कारण घर पर कोई घरेलू नुस्खे बताने वाला नहीं होता. उस पर छोटे बच्चों की देखभाल को लेकर उनके मन में कई सवाल चल रहे होते हैं. जिनमें कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
अब आपको बता देते हैं कि इस मौसम में बच्चों को बहुत-सी प्रॉब्लम्स होती है. इस मौसम में केवल सर्दी-जुकाम नहीं होता. बल्कि बच्चों को और भी बहुत-सी दिक्कतें हो सकती है. जिनमें बुखार, उल्टी, स्किन इंफेक्शन, रैशेज, फुंसियां, पेट दर्द, ड्राय कफ, निमोनिया, वायरल इंफेक्शन जैसी चीजें शामिल है. कई केस में सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम के भी शिकार बच्चे हो जाते हैं. ये प्रॉब्लम बच्चों पर ज्यादा कपड़े लाद देने से हो सकती है. इसके अलावा बॉडी के टेम्परेचर का एकदम कम हो जाना यानी हाइपोथर्मिया की प्रॉब्लम भी हो सकती है. कई बार तेज धूप से भी बच्चे को प्रॉब्लम आ जाती है. ऐसे में सूरज से निकलने वाली तेज और हानिकारक किरणें भी बच्चे को नुकसान दे सकती है. इसके अलावा घर में गर्मी के लिए अपनाए गए आर्टिफिशियल रिसोर्सिज जैसे कि हीटर या सिगड़ी के इस्तेमाल से भी तकलीफ हो सकती है.
कई बार हर तरह की सेफ्टी के बाद भी बच्चे बीमार हो जाते हैं. ऐसे में बहुत जरूरी है कि बच्चों को प्रोपर क्वांटिटी में लिक्विड देते रहें. इसके लिए डॉक्टर्स की एडवाइस भी ले सकते हैं. इस टाइम पर वैसे मां का दूध ज्यादा अच्छा बताया जाता है. अगर बच्चा 6 साल तक का ही है तो उसे दाल का पानी या मैश किए हुए फ्रूट्स भी दे सकते हैं.