शरीर को अच्छे से चलाने के लिए और स्वस्थ रखने के लिए कम से कम छह आठ घंटे की नींद लेने की ज़रुरत होती है. नींद न आना आजकल की एक आम समस्या बन गई है. लेकिन अधिक सोने से भी स्ट्रोक की दिक्कत हो सकती है इसलिए ज्यादा सोने को भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए. दोपहर में सोने से कई सारी बिमारी आती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जो लोग हर दिन आठ घंटे से अधिक सोते हैं, उनमें छह से आठ घंटे के बीच सोने वाले लोगों की तुलना में स्ट्रोक होने की संभावना अधिक होती है. एक बिगड़ी हुई दिनचर्या के कारण 25 वर्ष से कम उम्र के लोग हार्ट बीट रुकने से स्ट्रोक के कारण मर रहे हैं.
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स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग के एक हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है. जिससे दिमाग की नसों को नुक्सान होता है. रिपोर्ट्स के अनुसार ,जो लोग हर रात नौ घंटे से अधिक सोते थे, उनमें हर रात आठ घंटे से कम सोने वालों की तुलना में स्ट्रोक का खतरा 23 प्रतिशत अधिक था. इसके अलावा, जो लोग दिन के बीच में कम से कम 90 मिनट के लिए झपकी लेते हैं, उनमें स्ट्रोक होने की संभावना उन लोगों की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक होती है, जो 30 मिनट से कम की झपकी लेते हैं.
बता दें कि ज्यादा नींद स्ट्रोक से कैसे जुड़ी है यह अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह देखा गया है कि जो लोग बहुत अधिक सोते हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे वजन बढ़ सकता है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है.
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वहीं डॉक्टरों का मानना है कि एक अच्छा खान पान और जीवनशैली 80 प्रतिशत स्ट्रोक जोखिम से बचने में मदद कर सकते हैं जैसे जंक फूड कम लें, धूम्रपान को ना कहें और बेहतर जीवन जीने और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए अपने रक्तचाप, शर्करा और वजन को भी ध्यान में रखें.
Source : News Nation Bureau