केंद्र सरकार ने राज्यों को ब्लैक फंगस (म्यूकोरमायकोसिस) के उपचार में इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी दवा की 29,250 शीशियां दीं हैं. यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने दी है. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बताया कि म्यूकोरमायकोसिस के उपचार में उपयोग की जाने वाली एम्फोटेरिसिन- बी दवा की 29,250 अतिरिक्त शीशियां बुधवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित कर दी गई हैं. केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बताया कि इससे पहले 24 मई को एम्फोटेरिसिन-बी की अतिरिक्त 19,420 शीशियों का आवंटन किया गया था और 21 मई को देश भर में 23,680 शीशियों की आपूर्ति की गई थी.
कोरोना से मिली राहत तो अब ब्लैक फंगस ने बढ़ाई महाराष्ट्र सरकार की चिंता
महाराष्ट्र में कोरोना केस में कमी देखने को मिल रही है. राज्य में पिछले 24 घंटे में 24136 मरीज सामने आए हैं, जबकि 601 लोगों की मौत हो गई है. महाराष्ट्र को कोरोना से तो राहत मिल रही है लेकिन ब्लैक फंगस ने राज्य सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है. अब तक यहां ब्लैक फंगस के 2245 से ज्यादा मरीज मिले हैं और 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस (Black Fungus) को सूचनीय बीमारी (Notifiable Disease) घोषित कर दिया गया है. वहीं ब्लैक फंगस मरीज़ की जानकारी अब राज्य सरकार को देनी होगी.
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने मंगलवार को बताया कि महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के 2245 मामले सामने आए हैं. राज्य सरकार ने इसे सूचनीय बीमारी घोषित किया गया है. इसके साथ ही हर ब्लैक फंगस मरीज़ की जानकारी अब राज्य सरकार को देनी होगी. उन्होंने आगे कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले योजना के तहत 131 सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस का मुफ्त इलाज किया जाएगा. फिलहाल 1007 मरीजों को मुफ्त इलाज दिया जा रहा है. इन अस्पतालों में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन मुफ्त में दिए जा रहे हैं.
बता दें कि महाराष्ट्र के अलावा गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा जैसे अन्य राज्यों ने भी इसे एक सूचनीय रोग के रूप में घोषित किया है, क्योंकि कम से कम 22 भारतीय राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले पाए गए हैं.
ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल संक्रमण है जो म्यूकोर्मिसेट्स नामक मोल्ड के समूह के कारण होता है, जो कोविड-19 रोगियों में विकसित हो रहा है. फंगल रोग आमतौर पर उन रोगियों में देखा जा रहा है, जिन्हें लंबे समय से स्टेरॉयड दिया गया था और जो लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे, ऑक्सीजन सपोर्ट या वेंटिलेटर पर थे. इसके अलावा यह स्वच्छता की कमी के कारण भी फैलता है. ऐसे मरीज भी इसकी चपेट में आए हैं, जिन्हें अस्पताल की खराब स्वच्छता का सामना करना पड़ा या जो अन्य बीमारियों जैसे मधुमेह के लिए दवा ले रहे थे.
अगर समय पर इलाज न किया जाए तो ब्लैक फंगस का संक्रमण घातक हो सकता है. कोविड दवाएं शरीर को कमजोर और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर सकती हैं. इससे मधुमेह और गैर-मधुमेह कोविड-19 रोगियों दोनों में रक्त शर्करा का स्तर भी बढ़ सकता है.
Source : News Nation Bureau