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संक्रामक नहीं है ब्लैक फंगस गलत अवधारणाओं से बचें: एक्सपर्ट्स

कोरोना वायरस संक्रमण महामारी ने पूरे देश में कोहराम मचा रखा है. इस बीच एक नई बीमारी ने ब्लैक फंगस ( म्यूकोर्मिकोसिस) देशवासियों पर अपना कहर ढाना शुरू कर दिया है. इस नई बीमारी ने देश के कई राज्यों को अब तक अपनी चपेट में ले लिया है.

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Ravindra Singh
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सांकेतिक चित्र( Photo Credit : फाइल )

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कोरोना वायरस संक्रमण महामारी ने पूरे देश में कोहराम मचा रखा है. इस बीच एक नई बीमारी ने ब्लैक फंगस ( म्यूकोर्मिकोसिस) देशवासियों पर अपना कहर ढाना शुरू कर दिया है. इस नई बीमारी ने देश के कई राज्यों को अब तक अपनी चपेट में ले लिया है. मौजूदा समय में देश में ब्लैक फंगस के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. ब्लैक फंगस आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों और मधुमेह से पीड़ित लोगों को ही अपना शिकार बनाता है. कोरोना महामारी के बाद लोगों में ये भ्रांति फैल चुकी है कि कोरोना की तरह ये बीमारी भी छूने से फैलती है, लेकिन ये पूरी तरह से गलत बात है. एक्सपर्ट्स ने बताया कि छूने से नहीं फैलता है ब्लैक फंगस. 

एक्सपर्ट्स की राय मानें तो ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है. छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के सीएमएचओ डॉक्टर प्रमोद महाजन कहते हैं कि, कोविड-19 टास्क फोर्स ने ब्लैक फंगस को लेकर एडवाइजरी जारी की है. ब्लैक फंगस संक्रमित बीमारी नहीं है लेकिन, यह गंभीर बीमारी से ग्रसित व ठीक हो चुके लोग, मधुमेह रोगियों को चपेट में ले सकती है. ऐसे में सतर्क रहकर एडवाइजरी का पालन करना जरूरी है. वहीं एक और एक्सपर्ट डॉक्टर अरविंदर सिंह सोइन कहते हैं कि, ब्लैक फंगस संक्रमण वाली बीमारी नहीं है. ये छूने से नहीं फैलती है. इस बीमारी को लेकर इस तरह की भ्रांतियां न पालें. 

महाराष्ट्र और गुजरात में ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा केस
देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस नामकी इस नई बीमारी ने जगह बना ली है. गुजरात और महाराष्ट्र में अभी तक ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा केस देखने को मिले हैं. दोनों ही राज्यों में ब्लैक फंगस के 2,000 - 2000 से ज्यादा केस हैं, गुजरात में अकेले अहमदाबाद के अस्पतालों में ब्लैक फंगस के 850 से ज्यादा मरीजों का इलाज जारी है तो वहीं, सूरत में एक नौजवान की मौत के बाद पता चला कि ये ब्लैक फंगस का शिकार हुआ है. वहीं महाराष्ट्र में भी ब्लैक फंगस ने 80 लोगों को अपना शिकार बनाया इलाज के दौरान इन 80 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं पुणे में ब्लैक फंगस बीमारी के लगभग 300 मरीज हैं और इस एंटी-फंगल दवा की सप्लाई बहुत कम है. नागपुर और नासिक में इसके 200-200 मरीज हैं और उन्हें भी इस जरूरी दवा की जरूरत है. 

स्टेरायड के अत्यधिक सेवन से होता है ब्लैक फंगस से खतरा
ब्लैक फंगस बीमारी ज्यादातर ऐसे लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है जो लोग कोविड का इलाज लेने के दौरान ज्यादा स्टेरायड का सेवन करते हैं. ब्लैक फंगस ऐसे लोगों के साइनस या फेफड़े में हवा से फंगल वायरस के अंदर जाने के बाद प्रभावित होते हैं, ब्लैक फंगस से ग्रस्त होने की आशंका उन लोगों को अधिक होती है जो अनियंत्रित मधुमेह से प्रभावित हैं। इसके अलावा लंबे समय तक आइसीयू में भर्ती रहे हों. इसके साथ ही अंग प्रत्यारोपण आदि रोगियों को यह बीमारी सबसे अधिक प्रभावित करती है.

Source : News Nation Bureau

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