ब्लैडर मानव शरीर में पेट के निचले हिस्से में स्थित एक खोखली थैलीनुमा अंग होता है, जो हमारे यूरिनरी सिस्टम का हिस्सा होता है. किडनी से छनकर आए यूरिन को ब्लैडर ही कलेक्ट करता है और यहीं से यूरिन शरीर के बाहर निकलता है. कुछ लोग ब्लैडर में कैंसर की बीमारी के शिकार हो जाते हैं, जो उन्हें मौत के द्वार तक ले जाती है. ब्लैडर में कैंसर तब होता है, जब उसकी आतंरिक परतों में असाधारण रूप से ऊतक विकसित होने शुरू हो जाते हैं. ब्लैडर की वॉल के टिश्यूज के इंफैक्टेड होने के साथ वहां खून के थक्के जमने की वजह से इस कैंसर की शुरुआत होती है.
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ब्लैडर कैंसर महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में ज्यादा होता है. यह किसी भी उम्र में हो सकता है. हालांकि एक स्टडी के अनुसार, यह कैंसर ज्यादातर 60 साल से ऊपर उम्र की पुरुषों को होता है. ब्लैडर कैंसर ज्यादातर मूत्राशय की अंदरूनी परत की कोशिकाओं में विकसित होता है. कैंसर मूत्राशय में होना काफी आम है. लेकिन इसके क्या कारण होते हैं, क्या इसके लक्षण होते हैं और किस तरह से इससे बचाव के साथ खुद का ख्याल रखा जा सकता है. इसकी जानकारी हम आपको बताएंगे....
क्या है ब्लैडर कैंसर
ब्लैडर के अंदर की झिल्ली के सेल्स यानी कोशिकाओं के अनियंत्रित तरीके से बढ़ने को ब्लैडर कैंसर कहते हैं. ब्लैडर की बाहरी दीवार की मांसपेशियों की परत को सेरोसा कहा जाता है, जो कि फैटी टिश्यू, एडिपोज टिश्यूज या लिम्फ नोड्स के बहुत पास होती हैं. ब्लैडर हमारे यूरिनरी सिस्टम का हिस्सा है और इसके जरिए ही यूरिन बाहर आता है. ब्लैडर की आंतरिक दीवार नए बने यूरीन के संपर्क में आती है, जिसे मूत्राशय की ऊपरी परत कहते हैं.
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ब्लैडर में कैंसर के लक्षण
- यूरिन में खून आना सबसे बड़ा सिप्टम है. ऐसा हो सकता है दर्द ना हो, मगर पेशाब लाल रंग का होता है.
- शौच या पेशाब में खून का आना.
- पेशाब करने के दौरान दर्द का होना.
- कभी-कभी पेट के निचले हिस्से में दर्द का होना.
- पीरियड्स के वक्त अधिक खून का आना.
- कभी-कभी यूरिन में जलन और यूरिन का रुकना.
इन लोगों को रहता है ज्यादा खतरा
- बहुत ज्यादा स्मोक करने वाले लोग
- कपड़े रंगने का काम करने वाले लोगों को बहुत रिस्क
- बहुत ज्यादा सैकरीन आर्टिफिशयल स्वीटनर्स का सेवन करने वाले लोग
- 60 से 70 साल की उम्र के लोगों को अधिक रिस्क
- एल्कोहल भी कारण हो सकता है, मगर ये इतना बड़ा नहीं
ब्लैडर कैंसर से बचाव
- धूम्रपान करना तुरंत छोड़ दें. हालांकि इससे ब्लैडर कैंसर का जोखिम पूरी तरह कम नहीं होता.
- खतरनाक केमिकल के संपर्क में आने से बचें.
- बहुत मात्रा में तरल पदार्थ पिएं.
ब्लैडर कैंसर का ट्रीटमेंट
- कीमोथेरपी- इस प्रक्रिया का इस्तेमाल उन ऊतकों के लिए होता है, जो मूत्राशय की दीवार तक सीमित होते हैं.
- रेडिएशन थेरेपी- कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए इस थेरेपी का प्रयोग किया जाता है. जहां सर्जरी का विकल्प नहीं होता, वहां इसको अक्सर प्राथमिकता दी जाती है.
- सर्जरी- सर्जरी के जरिए कैंसरग्रस्त ऊतकों को हटाया जा सकता है.
- इम्यूनोथेरेपी थेरेपी- इस प्रक्रिया में कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करते हैं.
Source : News Nation Bureau