आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में खराब लाइफस्टाइल के चलते सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। इस टेंशन से भरी जिंदगी में दिल के दौरे के मामले भी बढ़ रहे हैं।
हर साल 17 मिलियन लोग हार्ट अटैक और स्ट्रोक की गंभीर बीमारी से अपनी जान खो बैठते है। खराब दिनचर्या, शराब और तंबाकू का सेवन, सिगरेट पीना हार्ट अटैक आने के प्रमुख कारणों में शामिल है।
ऐसे में हाल ही में हुए एक शोध से पता चला है कि ब्लड ग्रुप से दिल के दौरे का खतरा पता चलता है।
'ओ' ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में (ए,बी, एबी) ब्लड ग्रुप वाले लोगों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना 9 फीसदी ज्यादा रहती है। इसमें खास तौर से मायोकार्डिल इंफ्रेक्शन शामिल है। इस शोध को 'हार्ट फेल्योर 2017' और चौथे वर्ल्ड कांग्रेस के 'एक्यूट हार्ट फेल्योर' में प्रस्तुत किया गया है।
शोध में पाया गया है कि जिन लोगो का ब्लड ग्रुप ओ नहीं है उनमें हार्ट अटैक आने का खतरा ज्यादा है और साथ में उनमे कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा होता है। 'ए' ब्लड ग्रुप वाले लोगो में भी ज्यादा कोलेस्ट्रॉल होता है।
शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि 'वॉन विलेब्रैण्ड फैक्टर' की ज्यादा मात्रा की वजह से खतरा ज्यादा हो जाता है। 'विलेब्रैण्ड फैक्टर' एक रक्त का थक्का जमाने वाला प्रोटीन है जो कि थ्रोम्बोटिक प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है।
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जिन लोगों का 'ए' ब्लड ग्रुप होता है उन्हें कोलेस्ट्रॉल के लिए जाना जाता है। कोलेस्ट्रॉल दिल के दौरे का प्रमुख जोखिम कारक है।
इसके अलावा, गैर ओ-ब्लड ग्रुप वाले लोगों में गैलेक्टिन-3 की ज्यादा मात्रा होती है। गैलेक्टिन-3 प्रोटीन सूजन और दिल के मरीजों पर बुरा प्रभाव डालता है।
नीदरलैंड के मेडिकल सेंटर ग्रोनिगन विश्वविद्यालय के छात्र व प्रमुख लेखक तीसा कोले ने कहा, 'ब्लड ग्रुप को दिल के दौरे की रोकथाम, कोलेस्ट्रॉल, उम्र, लिंग और सिस्टोलिक रक्तचाप के खतरों के मूल्यांकन में शामिल किया जाना चाहिए।'
(इनपुट आईएएनएस)
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Source : News Nation Bureau