Borderline Personality Disorder: बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर कैसे आपके मेंटल हेल्थ को करता है प्रभावित, जानें इसके कारण और लक्षण

Borderline Personality Disorder: बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक मनोविज्ञानिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति की व्यक्तित्व की स्थिति में स्थायी और गंभीर असंतुलन होता है. आइए जानें क्या है इसके लक्षण और कारण

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Ritika Shree
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Borderline Personality Disorder

Borderline Personality Disorder( Photo Credit : Social Media)

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Borderline Personality Disorder: बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Borderline Personality Disorder) एक मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति की व्यक्तित्व स्थिति में स्थायी और गंभीर असंतुलन होता है. यह विकार उनके विचार, भावनाएं, और व्यवहार में असंतुलन का कारण बनता है, जिससे उनके दिनचर्या में बंदिशें और संघर्षों का विकसित होता है. इस डिसॉडर के संकेत रोजमर्रा की जीवनशैली में अस्थिर और अनियंत्रित आवेग, भावनात्मक प्रतिबंध, अस्थिर रिश्ते और टकरावपूर्ण स्वभाव के रूप में दिखाई देता है. यह रोग व्यक्ति के बाहरी और आंतरिक जीवन को प्रभावित कर सकता है, जिससे उसे समाज में असंतोष और संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है. बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि जीवन में घातक घटनाएं, बचपन में अनियंत्रित या अस्थायी संबंध, और भावनात्मक जुड़ाव. आंकड़ों की बात करें तो एक रिसर्च में पाया गया दुनियाभर में प्रत्येक 100 में से एक व्यक्ति इस डिसऑर्डर के साथ रहता है, यह ज्यादातर प्रारंभिक वयस्कता में देखा गया है. पुरुष और महिलाओं में समान रूप से बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर देखा गया है, लेकिन महिलाओं में इसके निदान होने की संभावना ज्यादा है.

बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Borderline Personality Disorder) के प्रकार

अत्यधिक अनियंत्रित और चिंतित व्यवहार: इसमें संवेदनशीलता, संवेदनशीलता, अनियंत्रित और आक्रामक व्यवहार, अचानक बदलती भावनाओं और क्रोध की अधिकता शामिल हो सकती है.

संवेदनशीलता और पुनर्निर्देशन समस्याएँ: व्यक्ति को अपनी अहमियत में अभाव महसूस होता है और वे अक्सर खुद को उच्च आदर्शों के साथ तुलना करते हैं.

संवेदनशीलता और संसारवादी अनुभवों की स्थिति: इसमें अनियंत्रित और अस्थिर रिश्तों की एक संवेदनशीलता की अवस्था शामिल होती है.

अस्थिर और अस्थिर स्वतंत्रता: यह आत्मकेंद्रितता, अस्थिरता और अस्थिर आचरण, धर्म और मूल्य पदों से जुड़ा हो सकता है.

बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Borderline Personality Disorder) के कारण

जीवन की घटनाएं: अधिकांश मानसिक विकारों की तरह, बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का विकास भी पर्यावरणीय और जीवन की घटनाओं के प्रभाव पर निर्भर कर सकता है. यह विकार अक्सर किसी व्यक्ति के बचपन में हुए अधिक तनावपूर्ण, अस्थिर, या असुरक्षित गतिविधियों के परिणाम के रूप में दिखाई देता है.

जेनेटिक कारक: कुछ अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि जीनेटिक परिवारवाद बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के विकास में एक कारण हो सकता है.

न्यूरोबायोलॉजिकल असंतुलन: कुछ अध्ययन इस डिसॉडर के विकास में न्यूरोबायोलॉजिकल अंशों को भी महत्व देते हैं, जैसे कि सीरोटोनिन, डोपामाइन, और अन्य न्यूरोट्रांसमिटर्स की स्तरों में असंतुलन.

अभिभावकीय अपेक्षाएं और ख़राब रिश्ते: अपेक्षाएं, प्रेरणा, और संबंधों में विफलता के अनुभव बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के विकास में एक प्रमुख कारक हो सकते हैं.

अभिभावकीय सुरक्षा और संसाधन: स्थायी, प्रेमपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण सुरक्षा और सपोर्ट के अभाव में, विकार के विकास का खतरा अधिक हो सकता है.

बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Borderline Personality Disorder) के लक्षण

अस्थिर आवेग: व्यक्ति अपने आवेगों को संयमित नहीं कर पाता है और अकस्मात रूप से बदल जाता है.

टेम्पोररी रिलेशन: व्यक्ति के संबंध अक्सर अस्थायी और असंतुलित होते हैं, और वह अपने साथीजनों के साथ अचल संबंध बनाने में संघर्ष करता है.

भावनात्मक प्रतिबंध: व्यक्ति को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में समस्या होती है और वह अकस्मात रूप से उत्तेजित हो जाता है.

अस्थिर आत्मसम्मान: व्यक्ति के आत्मसम्मान में अस्थिरता और असंतुलन होता है, और वह अकस्मात रूप से अपने आप को असफल महसूस करता है.

स्वयंहानि की प्रवृत्ति: व्यक्ति के आत्महत्या, स्वयंहानि, या खुदकुशी के प्रयासों का खतरा होता है.

संघर्षपूर्ण संबंध: व्यक्ति अक्सर अनियंत्रित और संघर्षपूर्ण संबंधों का हिस्सा बनता है, जो उन्हें और उनके साथीजनों को पीड़ित कर सकता है.

असंतुलित व्यवहार: व्यक्ति का व्यवहार अक्सर असंतुलित होता है, जैसे कि अधिक रोना, भड़काना, या स्वार्थी प्रवृत्ति.

खुद को स्थायी अज्ञात करना: व्यक्ति अक्सर अपने आत्मा की सही समझ नहीं पाता है और अपने व्यक्तित्व के संघर्ष में रहता है.

यह लक्षण अक्सर युवाओं और बच्चों में विकसित होते हैं, लेकिन वे पूरी तरह से वयस्क आयु में भी देखा जा सकता है. यह लक्षण अक्सर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में परिणामी भावनाओं और संघर्षों का कारण बनते हैं, जैसे कि संबंध, शैक्षिक प्रदर्शन, और व्यक्तिगत संघर्ष.

Source : News Nation Bureau

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